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उत्तर प्रदेश
देश को चरित्रवान व पुरुषार्थी युवा देना चाहता है आर्य समाज: ओम प्रकाश आर्य
Shantanu Roy
8 Dec 2022 9:58 AM GMT
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बड़ी खबर
बस्ती। आर्य समाज कोई नवीन मत मतांतर नहीं है बल्कि भारतीय वैदिक संस्कृति का पोषक व अपने पूर्वज ऋषि यों की आदर्श परंपराओं का स्मरण करने वाली पावन पवित्र विचारों वाली संस्था है। प्रेस क्लब बस्ती में "युवाओं के चरित्र निर्माण में आर्य समाज की भूमिका" विषय पर आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान ओम प्रकाश आर्य प्रधान आर्य समाज नई बाजार बस्ती ने बताया कि आर्य समाज के 49वां वार्षिकोत्सव 8 दिसम्बर से 11 दिसम्बर तक स्वामी दयानंद विद्यालय में सुर्तीहट्टा में आयोजित किया गया है जिसमे आर्य जगत के प्रसिद्ध विद्वान आचार्य शिवदत्त पाण्डेय उपदेशक व पंडित राम मगन भजनोपदेशक सुल्तानपुर से और पंडित नरेश दत्त आर्य व नरेन्द्र दत्त आर्य बिजनौर से पधार रहे है। कहा कि सर्वविदित एवं सर्वमान्य है कि इस देश का प्रथम प्राचीन नाम आर्यावर्त था जो कालांतर में भारतवर्ष के नाम से संसार में विख्यात था। मुगल काल में इसे हिंदुस्तान में अंग्रेजों ने इसे इंडिया नाम से प्रचारित किया। आज भी भारतीय संस्कृति पूरे विश्व के लिए आदर्श बनी हुई है और सबको प्रेरणा दे रही है। आर्य समाज एक कुशल शिक्षक की भाँति पूरी निर्भीकता से मानव मात्र को उसके दोषों को बताते हुए उसके वास्तविक देव स्वरूप का दर्शन करा रहा है। आज लोगों के वैदिक पथ से दूर होने से तमाम मत मतांतर समाज में फैल रहे हैं जिससे रोज नए-नए समूह या मत अथवा पूजा पद्धति पैदा हो रही है। इस कारण लोग भ्रम जाल में फंस कर अपने शुद्ध, पावन व अजेय स्वरूप को भूलते चले जा रहे हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा स्थापित संस्था आर्य समाज ने हिंदुओं को स्वाध्याय, यज्ञ, योग व वैदिक सोलह संस्कारों द्वारा *वेदों की ओर लौटो* के लिए प्रेरित किया है जिससे वे अपने धर्म पर अटूट आस्था व विश्वास रखते हुए उससे जुड़े हुए हैं। पर इसके लिए संस्था को अपने भाइयों के ही विरोध झेलने पड़े हैं।
वार्ता में पत्रकारों से बात करते हुए दिनेश आर्य प्रशिक्षक आर्य वीर दल दिल्ली प्रदेश ने बताया कि आर्य समाज ने समाज को आदर्श बनाने के लिए देश में डीएवी कॉलेज खोले। गौशाला खोलकर गौ हत्या के लिए आंदोलन किया। अनाथालय व वृद्ध आश्रम खोलकर निराश्रित बच्चों एवं बुजुर्गों को सहारा दिया। विधवा विवाह की परंपरा कायम कर स्त्रियों को सम्मान दिया। कहा कि युवाओं के कंधों पर देश का विकास व समृद्धि निहित होती है ।एक चरित्रवान व पुरुषार्थी युवा देश को ना केवल कला कौशल से समृद्ध करता है बल्कि अपने धार्मिक ज्ञान से अपनी संस्कृति को सुरक्षित भी रखता है। आर्य समाज *आर्य वीर दल* के माध्यम से युवाओं को आत्मरक्षा के लिए तैयार करता है। साथ ही योग, यज्ञ व वैदिक शिक्षा द्वारा उनका आध्यात्मिक पक्ष भी मजबूत करता है जिससे वे शारीरिक, आत्मिक व सामाजिक उन्नति करते हुए अविद्या के नाश व विद्या की वृद्धि के लिए तैयार हो सके। *आर्य वीरांगना दल* के माध्यम से बहन बेटियों को आत्मरक्षा व संस्कृति रक्षा के लिए तैयार करते हुए शक्ति संचय व सेवा भाव में भी प्रवृत्त करता है। नारियों को वेद पढ़ने व वैदिक संस्कारों को करने-कराने का भी सौभाग्य वैदिक ऋषि यों के द्वारा ही प्रदान किया गया है जो वर्तमान में लुप्तप्राय हो रहा है। आर्य समाज उन्हें पुनः अपने स्वाभिमान व गौरव की याद दिलाता है। आर्य समाज के 49वें वार्षिकोत्सव का मुख्य उद्देश्य यही है कि हमारे देश की युवा पीढ़ी चरित्रवान व विद्वान हो। समाज भय मुक्त, निरोगी, नशा मुक्त, अंधविश्वास से मुक्त हो। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व शूद्र सभी वर्ण मिलकर देश की उन्नति में अपना योगदान कर सकें। आर्य समाज पीड़ितों का वकील है, रोगियों का चिकित्सक व भटके हुए लोगों का मार्गदर्शक है। सोते हुए लोगों का चौकीदार है। सबको वैदिक पथ के माध्यम से समाज कल्याण में जुड़ने का संदेश देता है।
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