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उत्तर प्रदेश
यूपी निकाय चुनाव में भाजपा का अक्रामक प्रचार, विपक्ष नहीं दिखा रहा उत्साह
Rani Sahu
28 April 2023 8:36 AM GMT
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लखनऊ (आईएएनएस)| लोकसभा चुनाव से पहले रिहर्सल मान के चल रहे यूपी निकाय चुनाव में जहां सत्तारूढ़ दल भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों ने चुनाव में महज औपचारिकता ही निभाते नजर आ रहे हैं। भाजपा की ओर से सियासी सूरमा मोर्चे पर विपक्ष की घेरेबंदी करने में जुटे है। सपा, बसपा और कांग्रेस की तरफ से वह उत्साह देखने को नहीं मिल रहा है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो भाजपा ने अपनी पूरी टीम को प्रचार में उतार दिया है। सरकार और संगठन की तरफ सभी लोग मैदान में बाजी जीतने के लिए पूरे दमखम से उतर रहे हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह जिले जिले जाकर सारी व्यवस्था चाक चौबंद करने में जुटे हैं। धर्मपाल सिंह पश्चिमी जिले साहरनपुर, फिरोजाबाद, मथुरा से लेकर मुरादाबाद जाकर जिले, क्षेत्र और बूथ लेवल के लोगों के साथ मिलकर उन्हें चुनावी बारीकियां समझा रहे हैं। इसके अलावा रात में वार रूम की मीटिंग और रूठे कार्यकर्ताओं से बातचीत कर उन्हें मना रहे हैं। साथ ही यहां पर प्रदेश पदाधिकारियों से चुनावी फीडबैक ले रहे हैं।
प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी जिले जिले जाकर संचालन समितियों के साथ बैठक कर पुराने कार्यकर्ताओं से मिलकर उन्हें भी चुनाव में एक्टिव कर रहे हैं। इसके साथ ही शक्ति केंद्रों के साथ बैठक कर चुनावी हालात को जान रहे हैं।
सरकार की ओर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दोनों उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य और ब्रजेश पाठक मैदान में हर दिन कई कई रैलियां और सभाएं कर रहे हैं। इसके अलावा प्रभारी मंत्री, सांसद, विधायक और संगठन के पदाधिकारी भी पूरी जिम्मेदारी के साथ अपने अपने उम्मीदवार को जीताने में लगे हैं। भाजपा फील्ड के डिजिटल दुनिया में काफी दमदारी से चुनाव लड़ती नजर आ रही है।
भाजपा की तुलना में अगर मुख्य विपक्षी दल सपा की बात करें तो उसके प्रचार में अभी उतना उत्साह नहीं दिख रहा है। राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव एक भी जिले में प्रचार के लिए नहीं गए हैं। हालांकि उन्होंने भी संचालन समिति और प्रभारी घोषित कर रखे हैं। लेकिन सपा फील्ड में उस तरह से नहीं उतर रही है। प्रदेश अध्यक्ष का भी कोई प्रचार कार्यक्रम जारी नहीं हुआ है। कुल मिलाकर अभी सुस्ती ही देखने को मिल रही है।
जानकारों के अनुसार बहुजन समाज पार्टी भी अक्रामक प्रचार के साथ कहीं दिख नहीं रही। यहां पर चुनाव की कमान कोर्डिनेटरों के कंधों पर है। पार्टी की मुखिया या कोई और बड़ा नेता अभी तक प्रचार करते दिखा नहीं है। पार्टी प्रमुख मायावती ट्विटर के माध्यम से जरूर अपने पार्टी के पक्ष में समर्थन मांग चुकी हैं। बसपा पदाधिकारियों की मानें तो वो प्रचार के लिए नहीं जाऐंगे। क्षेत्रीय कोर्डिनेटर भी चुनाव को औपचारिकता के लिए घर घर संपर्क और बैठकों तक निपटा रहे हैं।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो कांग्रेस और बुरे हालात से गुजर रही है। वह महज बयानबाजी कर अपना चुनावी कोरम पूरा करने में जुटी है। सभी नगर निगमों, पालिका और पंचायत में प्रत्याशी उतारने के बावजूद भी कोई प्रचार की योजना दिख नहीं रही है। केंद्रीय अमला कर्नाटक चुनाव में व्यस्त है। प्रदेश इकाई मजह बयान जारी कर और प्रेस वार्ता के जरिए ही पूरा चुनाव लड़ती नजर आ रही है।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि भाजपा छोटे से लेकर बड़े चुनाव को गंभीरता से लड़ती है। जब निकाय चुनाव की सुगबुगाहट हो रही थी तभी भाजपा ने अपनी बैठकें शुरू कर दी थी। जबकि विपक्षी दल को कुछ पता नहीं था। मामला सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद भाजपा के लोगों ने प्रत्याशी चयन पर मंथन शुरू कर दिया था, जबकि विपक्ष दल सारस और अन्य मुद्दों पर उलझे थे।
उन्होंने कहा, भाजपा ने अपनी सियासी पिच पर मजबूत धुरंधर उतार कर विपक्ष को मात देने की ठान रखी है। जबकि सपा बसपा और कांग्रेस के प्रचार में उत्साह दिख नहीं रहा है। इनके कोई बड़े नेता अभी तक जमीन में नजर नहीं आ रहे हैं।
--आईएएनएस
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