उत्तर प्रदेश

आचार्य ने बताया क्यों पितृपक्ष में ही खुला मामला, पितरों ने बंधक बने 'विमलेश' को छुड़ाया

Admin4
26 Sep 2022 4:24 PM GMT
आचार्य ने बताया क्यों पितृपक्ष में ही खुला मामला, पितरों ने बंधक बने विमलेश को छुड़ाया
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हिंदू धर्म में पितृपक्ष का बहुत महत्व है। इन दिनों में पितरों का तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है। विधि-विधान से करने से कई दोषों से मुक्ति मिलती है। लेकिन जब हम शास्त्रों के नियम के विरुद्ध कोई काम करते हैं तो यही पितृ हमें दंड देने के अधिकारी भी बन जाते हैं। रावतपुर में आयकर अधिकारी रहे विमलेश के शव को 17 महीने तक घर में रखने के मामले में हिंदू धर्म के ज्ञाताओं का अलग तर्क है। विकास नगर स्थित धुनि ध्यान केंद्र के आचार्य डा. अमरेश मिश्र का कहना है कि विमलेश को उसके घर वाले बंधक बनाए थे। पितरों ने आकर उसे छुड़ाया है।
पितृपक्ष था इसीलिए सामने आया मामला
आचार्य डा. अमरेश मिश्र ने बताया कि अनादिकाल से जो हमारे सनातन धर्मावलंबी लोग हैं, उनमें मान्यता है कि जैसे हमारे यहां देवताओं की पूजा होती है, उससे श्रेष्ठ हमारे पितृ होते हैं। उन पितरों के लिए पितृपक्ष रखा गया। पितरों के लिए जलदान और पिंडदान किया जाता है। पिंडदान के माध्यम से पितृ संतुष्ट होते हैं और परिवार को आशीर्वाद देते हैं। उन्होंने कहा कि जो घटनाक्रम विमलेश के साथ हुआ, उसका राज पितृपक्ष में इसलिए बाहर निकलकर आया क्योंकि इस दौरान पूर्व पितृ पृथ्वी पर आते हैं, जब वह यहां आए तो उन्होंने देखा कि हमारे कुल में इस तरह की घटना हो रही है। इस पर उन्होंने ऐसा कालचक्र बनाया कि सारा राज बाहर आ जाए। मान्यता के अनुसार वह विमलेश की मुक्ति कराकर साथ ले गए हैं।
यह दुर्दान्त मामला, परिवार को मिलेगा दंड
आचार्य डा. अमरेश मिश्र ने कहा कि अनादि काल से मान्यता है कि हमें अपने पूर्वजों की पूजा करनी चाहिए और जो मृत हो चुका है उसकी अंत्येष्टि कर देनी चाहिए ताकि वह बंधनों से मुक्त हो सके और पितृलोक को जा सके। लेकिन यह दुर्दान्त मामला है, विमलेश के परिवार वालों ने बहुत गलत किया। उसका परिवार दंड का भागीदार बना है। मेडिकल साइंस तो तुरंत ही निर्णय कर देता है। परिवार का कृत्य मानवता के भी विपरीत है।
मोह और लोभ के कारण हुई घटना
आचार्य डा. अमरेश मिश्र ने बताया कि यह घटना महज शारीरिक और सांसारिक मोह के चक्कर में नहीं हुई है इसके पीछे जरूर लोभ भी रहा होगा। जब मोह और लोभ दोनों मिल जाते हैं तब ही इंसान में इस तरह की दुर्दांत घटना करने का साहस उत्पन्न होता है।

न्यूज़ क्रेडिट: amritvichar

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