उत्तर प्रदेश

अखिलेश की नेतृत्व क्षमता की परीक्षा!

Neha Dani
21 Nov 2022 9:42 AM GMT
अखिलेश की नेतृत्व क्षमता की परीक्षा!
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इसलिए मैनपुरी में डिंपल की जीत सुनिश्चित करना अखिलेश के लिए बेहद जरूरी है.
लखनऊ: मैनपुरी लोकसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए करो या मरो जैसा है क्योंकि यह उनके नेतृत्व की परीक्षा है. उपचुनाव में आजमगढ़ लोकसभा सीट हारने के बाद, उनके पास यह सुनिश्चित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है कि उनकी पार्टी मैनपुरी सीट जीत जाए। ध्यान रहे कि आजमगढ़ और मैनपुरी की सीटों पर सपा ने सबसे मुश्किल दौर में भी जीत हासिल की थी. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हो रहे 2014 के चुनाव में पहली बार सपा ने दोनों सीटों पर जीत दर्ज की थी और 2019 में भी पार्टी ने दोनों सीटों पर जीत हासिल की थी. लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में बहुत अच्छा प्रदर्शन करने के बाद जब अखिलेश यादव ने सांसद के बजाय विधायक बने रहने का फैसला किया तो उन्होंने आजमगढ़ सीट छोड़ दी और पार्टी उस सीट को उपचुनाव में हार गई. इतना ही नहीं, पार्टी रामपुर सीट भी हार गई, जहां से सांसद आजम खां ने इस्तीफा दे दिया था.
अब आजम खां की विधानसभा सीट और मुलायम सिंह यादव के निधन से खाली हुई मैनपुरी सीट पर मतदान हो रहा है. ये चुनाव अखिलेश के नेतृत्व की परीक्षा हैं। अखिलेश ने कोई चांस नहीं लेते हुए अपनी पत्नी डिंपल को मैदान में उतारा है. पार्टी के स्टार प्रचारकों की लिस्ट में चाचा शिवपाल भी शामिल हो गए हैं। बीजेपी ने शिवपाल के करीबी रहे रघुराज सिंह शाक्य को मैदान में उतारा है. ध्यान रहे कि आजमगढ़ सीट पर अखिलेश के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव हार गए थे. इसलिए मैनपुरी में डिंपल की जीत सुनिश्चित करना अखिलेश के लिए बेहद जरूरी है.

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