उत्तर प्रदेश

जान का खतरा मोल लेकर पढ़ते हैं 80 बच्चे, 70 साल पुरानी स्कूल की जर्जर इमारत

Admin4
26 July 2022 3:13 PM GMT
जान का खतरा मोल लेकर पढ़ते हैं 80 बच्चे, 70 साल पुरानी स्कूल की जर्जर इमारत
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कानपुर: बारिश का महीना शुरू हो चुका है, इस महीने में जर्जर इमारतों के ढहने का खतरा बढ़ जाता है. कानपुर में भी कई ऐसी कई इमारतें हैं जो बड़े हादसे को न्योता दे रही हैं. कानपुर की जूही स्थित स्कूल की 70 साल पुरानी बिल्डिंग भी पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है, जिसके बावजूद वहां निरन्तर कक्षाएं चल रही हैं. स्कूल की इमारत इस कदर जर्जर है कि यह कभी भी गिर सकती है इसके बावजूद इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं.

आपको बता दें कि जिले में जर्जर इमारतों के ढहने से पिछले 2 सालों में कई हादसे हुए है, जिनमें तीन बड़े हादसे हैं जिसमें लोगों की मौत हुई. इस साल भी बारिश शुरू होने के साथ जर्जर इमारतों के गिरने का खतरा बढ़ गया है. अभी 2 दिन पूर्व ही शहर के घंटाघर इलाके में एक जर्जर इमारत का कुछ हिस्सा ढहने से लोग दब गए थे, जिसमें एक दिव्यांग बुजुर्ग की मौत भी हो गई थी. लेकिन इन जानलेवा हादसों के बावजूद सरकारी विभाग इनकी कोई सुध नहीं लेता.

जानलेवा खतरे के बीच पढ़ते हैं 80 छात्र

शहर के जूही स्थित जीपीजी स्कूल की इमारत पूरी तरह जर्जर हो चुकी है. इस जर्जर इमारत में बारिश के दिनों में कहीं से पानी टपकता है तो कहीं दीवार गिरने का डर बना रहता है. बताया गया कि यह जर्जर इमारत 70 साल पुरानी है जो पूरी तरह खस्ताहाल हो चुकी है. इस विद्यालय में कक्षा 6 से लेकर कक्षा 10 तक कुल 80 बच्चे हैं जो जर्जर भवन में मौत के खतरे के बीच भी पढ़ाई करते हैं. स्कूल की इमारत इस तरह जर्जर है कि यह किसी भी समय बड़े हादसे को आमन्त्रण दे सकती है.

प्रधानाचार्य और जिला विद्यालय निरीक्षक आमने-सामने

पूरे मामले में अब स्कूल के प्रधानाचार्य और जिला विद्यालय निरीक्षक आमने सामने आ गए हैं. इस मामले पर जहां विद्यालय के प्रधानाचार्य जितेंद्र सिंह गौतम का कहना है कि मामले में जिला विद्यालय निरीक्षक को लिखित जानकारी दी जा चुकी है, वहीं जिला विद्यालय निरीक्षक सतीश तिवारी का कहना है कि प्रधानाचार्य को लिखित रूप से स्कूल को दूसरी जगह शिफ्ट करने के आदेश दिए गए हैं इसके बावजूद ना प्रधानाचार्य और ना ही प्रबंधक इस पर अमल कर रहे हैं. जिला विद्यालय निरीक्षक ने कहा कि स्कूल में कोई हादसा होता है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रधानाचार्य और प्रबंधक की होगी.

नगर निगम की बड़ी लापरवाही

जर्जर इमारतों के जीर्णोद्धार के मामले में नगर निगम की बड़ी लापरवाही सामने आती है. नगर निगम के कर्मचारियों का कहना है कि शहर की जर्जर मकानों की लिस्ट को बनाकर उन्हें नोटिस भेज दिया जाता है, लेकिन सच्चाई ये है कि उन्हें खाली कराने का जिम्मा नगर निगम नहीं उठाता. नगर निगम द्वारा कोई कठोर कार्रवाई करने की बजाय सिर्फ नोटिस भेजा जाता है, जिसके कारण नोटिस के बावजूद लोग जस के तस जर्जर मकानों में रहते हैं.

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