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उत्तर प्रदेश
उप्र में लंपी वायरस से संक्रमित पशुओं के ठीक होने की दर 64 फीसदी
Rani Sahu
27 Sep 2022 10:46 AM GMT
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लखनऊ, भारत सरकार (Indian government) के आंकड़ों की मानें तो उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने लंपी वायरस के प्रकोप से गोवंश को प्रभावी रूप से सुरक्षित बचाने में कामयाबी पायी है। राज्य में लंपी वायरस के संक्रमण से पशुओं के स्वस्थ होने की दर 64 फीसदी है वहीं मृत्यु दर घटकर मात्र एक फीसदी रह गयी है। योगी सरकार (Yogi Sarkar) का दावा है कि इस वायरस के संक्रमण को रोकने में प्रशासन की मुस्तैद रणनीति कारगर साबित हुयी है। केन्द्रीय पशु पालन और डेयरी विभाग के आंकड़ों के मुताबिक देश के 14 राज्यों में अपने पैर पसार चुके इस वायरस से सर्वाधिक प्रभावित 06 बड़े राज्यों में उत्तर प्रदेश भी शामिल था। इनमें राजस्थान एवं पंजाब (Punjab) के आंकड़े बेहद चिंताजनक हालात की ओर इशारा कर रहे हैं। जबकि इन आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में स्थिति काबू में है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार राजस्थान (Rajasthan) में 11.34 लाख पशु लंपी वायरस से संक्रमित हुए हैं। इनमें 50,366 की मृत्यु हुई है। वहीं, पंजाब में संक्रमित हुए पशुओं की संख्या 1,73,159 है, जिनमें 17,200 पशुओं की मृत्यु हुई है। गुजरात में 1,56,236 पशु इस वायरस से प्रभावित हुए हैं, जिनमें 5,544 की मृत्यु हुई है। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में 66,333 पशु संक्रमित हुए हैं, जिनमें 2,993 मृत्यु हुई है। हरियाणा में 97,821 पशु प्रभावित हुए हैं, जिनमें मृत्यु हुई 1,941 है। जम्मू-कश्मीर में संक्रमित हुए पशुओं का आंकड़ा 32,391 है, जिनमें 333 पशुओं की मृत्यु हुई है। वहीं उत्तर प्रदेश में अब तक 26,024 पशु इस वायरस से प्रभावित हुए हैं, जिनमें में 273 पशुओं की मृत्यु दर्ज हुई है। उप्र में पशुओं के संक्रमण से ठीक होने का प्रतिशत 64 प्रतिशत है और मृत्युदर मात्र 01 प्रतिशत है।
उत्तर प्रदेश के पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा, "मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर हम कोराेना की तर्ज पर लंपी वायरस के लिये भी 'टीम 9' बनाकर नियमित समीक्षा कर रहे हैं। हमने इलाज और वैक्सिनेशन का वृहद अभियान चलाया है। इस पर काबू करने में हमें सफलता मिली है।" गौरतलब है कि पश्चिमी प्रदेश के 26 जनपद लंपी स्किन रोग से प्रभावित हैं। योगी सरकार पशुओं को इस वायरस से बचाने के लिए 'रिंग एवं बेल्ट' फार्मूले के माध्यम से टीकाकरण लगातार टीकाकरण अभियान चला रही है। यह रोग अन्य क्षेत्रों में न फैले इसलिए सरकार ने एक रणनीति बनाई, जिसके तहत सुरक्षा कवच को सुदृढ़ करते हुए रिंग एवं बेल्ट के माध्यम से सघन टीकाकरण किया जा रह है। पहली बेल्ट नेपाल से मध्यप्रदेश तक 320 किमी की, दूसरी बेल्ट में बुन्देलखण्ड क्षेत्र में 155 किमी तक सुरक्षा घेरा तैयार किया गया है। यह घेरा 10 किमी चौड़ा है। अंतरराज्यीय एवं अंतरजनपदीय सीमा से लगे जिलों में सीमावर्ती विकासखण्ड एवं ग्रामों को टीकाकरण में प्राथमिकता दी जा रही है।
इसके लिए प्रदेश में 1126 टीमें टीकाकरण के लिए गठित की गयी हैं। इन टीमों ने प्रदेश में 26 लाख 04 हजार 500 पशुओं को गोटपॉक्स का टीका लगाया है। गोवंशीय पशुओं को बचाने के लिए टीकाकरण की कार्यवाही की जा रही है। इसके लिए प्रदेश में 82.50 लाख वैक्सीन उपलब्ध है।
सरकार ने इस रोग पर नियंत्रण पाने के लिए टीम-9 का शुरूआत में ही गठन कर दिया था। इसके अतिरिक्त जनपद एवं विकास खण्ड स्तर पर कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है। इसके अतिरिक्त संक्रमित गोवंश को स्वस्थ पशुओं से अलग किया जा रहा है। सरकार का दावा है कि पशुओं को तत्काल उपचार की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश में 127 मोबाइल वेटेनरी यूनिट संचालित की जा रही हैं। गोआश्रय स्थलों के प्रभावित पशुओं को अलग रखने के लिए 76 आइसोलेशन सेंटर स्थापित किये गये हैं। बीमारी से बचाव के लिए सभी जनपदों में पर्याप्त दवायें उपलब्ध हैं।
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