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एमबीबीएस के 4 छात्र प्रथम वर्ष के सभी पेपर भी पास नहीं कर सके
पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा...। बेटा हमारा ऐसा काम करेगा...। कयामत से कयामत फिल्म का ये गीत गुनगुनाते वे भी केजीएमसी में दाखिल हुए। सपना सच हुआ। पर, एनॉटमी, फिजियोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री में ऐसा उलझे कि केमिस्ट्री कुछ जम नहीं पाई। फिर भी हारे नहीं। डटे रहे। कोई 16 साल से तो कोई 25 साल से...।
सोचा था एक दिन इस चक्रव्यूह का द्वार जरूर तोड़ लेंगे। बच्चे बड़े हो गए। ग्रेजुएट हो गए। केजीएमसी भी केजीएमयू हो गया। पर, पापा की गाड़ी एमबीबीएस में ही अटकी रह गई। बच्चे बोले-पापा अब तो रहने दो। फिर भी नहीं माने। अब संस्थान ने बेमुरव्वत चार छात्रों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। कार्य परिषद ने भी इनका दाखिला निरस्त करने पर मुहर लगा दी है।
केजीएमयू में अभी तक एमबीबीएस परीक्षा पास करने के लिए अधिकतम अवधि निर्धारित नहीं थी। इसकी वजह से कई विद्यार्थी 16 से 25 साल तक परीक्षा पास करने का प्रयास कर रहे हैं। यह सब फर्स्ट ईयर के ही सारे पेपर क्लीयर नहीं कर पाए। संस्थान भी इनको पास कराने पर अड़ा हुआ था।
मर्सी अटेम्प्ट दिए, परीक्षा के अतिरिक्त मौके दिए। फिर भी कुछ नहीं हुआ। इनमें से सबसे पुराने छात्र ने वर्ष 1997 में दाखिला लिया था। दूसरे ने वर्ष 1999, तीसरे ने 2001 और चौथे छात्र ने वर्ष 2006 में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में दाखिला लिया था।
लगातार चार साल फेल होने वालों को छोड़ना होगा संस्थान
चिकित्सा आयोग के नियम के तहत लगातार चार साल फेल होने वाले विद्यार्थियों को संस्थान छोड़ना होगा। यह नियम आगे भी लागू रहेगा। चिकित्सा विश्वविद्यालय में पिछले साल तक ऐसे 37 विद्यार्थी थे जो कई साल से फेल हो रहे हैं।
इनके अनुरोध पर केजीएमयू ने समिति का गठन किया था। समिति ने इनको पास करने के लिए विशेष कक्षाएं चलाने के लिए कहा था। इसका भी कोई असर देखने को नहीं मिला। इसके बाद अब कार्य परिषद ने सख्ती करनी शुरू की है।
कार्य परिषद की मंजूरी मिलने के बाद किया गया रद्द
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता के लिए निर्धारित अवधि में एमबीबीएस की परीक्षा पास करने की अनिवार्यता तय कर रखी है। काफी पुराने इनरोलमेंट निरस्त किए जा रहे हैं। कार्य परिषद से मंजूरी मिलने के बाद इनका पंजीकरण रद्द किया गया