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चेन्नई, (आईएएनएस)| मद्रास हाईकोर्ट ने गुरुवार को ऑनलाइन गेम के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्यवाही शुरू की, क्योंकि छात्र वर्ग ऑनलाइन गेम का तेजी से आदी हो रहा है। न्यायमूर्ति आर. महादेवन और न्यायमूर्ति जे. सत्य नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने इस संबंध में केंद्र सरकार और राज्य सरकार के अलावा सोशल मीडिया के खिलाड़ियों से जवाब मांगा।
अदालत ने पाया कि छात्र ऑनलाइन गेम के आदी हो रहे हैं, जिनमें से अधिकांश हिंसक हो जाते हैं। देखा गया है कि ऑनलाइन गेम के आदी लोगों और उनके माता-पिता और भाई-बहनों के बीच घर में लड़ाई होती है।
खंडपीठ ने यह भी कहा कि ऑनलाइन गेम के आदी कई छात्र और युवा हारने पर आत्महत्या कर लेते हैं। इस प्रकार के ऑनलाइन गेम के खतरे को रोकने की तत्काल जरूरत है। हमें युवाओं और विशेष रूप से छात्रों को संवेदनशील बनाना चाहिए। इसमें पुलिस और सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक निश्चित भूमिका है।"
अदालत ने यह भी कहा कि राष्ट्र का भविष्य युवाओं के हाथों में है और उन्हें शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से फिट होना चाहिए।
इसने यह भी कहा कि माता-पिता की प्राथमिक जिम्मेदारी है कि वे देखें कि उनके बच्चे अपने स्मार्टफोन और कंप्यूटर के साथ क्या कर रहे हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि जो लोग ऑनलाइन गेम खेल रहे हैं, उनकी काउंसलिंग की जाए और उन्हें गेम को अनइंस्टॉल कराया जाए।
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