तेलंगाना
सहायक प्रोफेसर के कब्जे से 70 लाख नकद बरामद, पुलिस 'हवाला' एंगल खंगालने में जुटी
Shantanu Roy
28 Oct 2022 3:05 PM GMT
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बड़ी खबर
हैदराबाद। हैदराबाद पुलिस ने दो लोगों को 70 लाख संदिग्ध नकदी के साथ गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार लोगों में एक सहायक प्रोफेसर है. इस सिलसिले में जांच कर रही पंजागुट्टा थाना पुलिस को अंदेशा है कि, यह रकम कहीं 'हवाला' की तो नहीं है. इस नजरिये से भी भी हैदराबाद की कई पुलिस टीमें जांच में जुटी हैं. रुपयों की बरामदगी तब हुई थी जब, स्थानीय पुलिस रुटीन वाहन चेकिंग कर रही थी. घटना 27 अक्टूबर की है. इन रुपयों की बरामदगी द्वारकापुरी कालोनी में पुलिस द्वारा वाहन चैकिंग के दौरान हुई बताई जाती है.
70 लाख जैसी भारी भरकम नकद रकम एक ब्रीजा कार से जब्त की गई है. शक होने पर ट्रैफिक और सिविल पुलिस ने इस कार को रोका था. जांच में उसके अंदर थैलों में 70 लाख रुपए मिले. संदेह के आधार पर जब कार में मौजूद दोनों लोगों से पूछताछ की गई, तो वे रुपयों के बारे में सही जानकारी नहीं दे सके. गिरफ्तार लोगों का नाम किशव राव व वेमुला वामशी है. गिरफ्तार किशन राव हुजूराबाद का रहने वाला है. हैदराबाद पुलिस के मुताबिक किशन राव निजा कॉलेज में कॉमर्स संकाय में असिस्टेंट प्रोफेसर है.
रकम कहीं 'हवाला' कारोबारियों से जुड़ी हुई तो नहीं?
इससे पहले तक वो एबीवीपी एबिड्स जोन प्रभारी के रूप में काम कर चुका है. पुलिस द्वारा की गई आगे की पूछताछ में आरोपियों से पता चला है कि, रकम किसी मधु नाम से शख्स ने सौंपी थी. यह रकम किसकी है और आरोपियों को यह रकम किसके हवाले करनी थी? जांच में जुटी पुलिस इन सवालों के जवाब फिलहाल दे पाने की हालत में नहीं है. पुलिस को अंदेशा है कि यह रकम कहीं 'हवाला' कारोबारियों से जुड़ी हुई तो नहीं है. फिलहाल इस सिलसिले में पुलिस फरार आरोपी मधु की तलाश में छापेमारी कर रही है.
काले कारोबार की चेन पकड़ पाना मशक्कत भरा काम
यहां बताना जरूरी है कि हवाला कारोबार की रकम एक जगह से दूसरी जगह इसी तरह 'नकदी' के रूप में इधर से उधर भेजी जाती है. इस धंधे में यह पता लगा पाना बेहद मुश्किल होता है कि, रकम पीछे कहां से आई थी और आगे कहां जानी थी. क्योंकि इस काले कारोबार की चेन को पकड़ पाना किसी भी राज्य की पुलिस, ईडी के लिए खासी मशक्कत वाला काम होता है. अमूमन बहुत ही कम मामलों में 'हवाला' की चेन आसानी से मिल पाती है. क्योंकि अगर चेन ही जांच एजेंसी के द्वारा तोड़ डाली जाएगी तो, इस काले कारोबार के तमाम अड्डे एक ही रेड में खत्म होने का पूरा पूरा अंदेशा अपराधियों को रहता है.
बिचौलियों को सिर्फ ये दो ही बातें पता होती हैं
इसीलिए जब भी हवाला की रकम को पीछे कहीं से लेकर आगे किसी तक पहुंचानी होती है. तब-तब रकम जिसके द्वारा भेजी जा रही होती है, उसे भी आगे पीछे की चेन के बारे में कभी कुछ नहीं बताया जाता है. ऐसे बिचौलियों को सिर्फ दो ही प्वाइंट मालूम रहते हैं. पीछे इन्हें रकम किसने दी. और इनके आगे वाला वो अड्डा या शख्स पता होता है, जिसके हवाले इन्हें हवाला की रकम करने की जिम्मेदारी सौंपी गई होती है.
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