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चेन्नई, (आईएएनएस)| तटरेखा परिवर्तन के राष्ट्रीय आकलन द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, तमिलनाडु की तटरेखा का 422.94 किलोमीटर भाग सिकुड़ रहा है। यह राज्य के कुल समुद्र तट का 42.7 प्रतिशत है, वहीं 332.69 किमी की तटरेखा स्थिर है जबकि 235.85 किमी की तटरेखा बढ़ रही है।
गुजरात के बाद देश में तमिलनाडु का दूसरा सबसे लंबा कोस्टलाइन है जो 1076 किलोमीटर है। राजधानी चेन्नई समुद्र तट के सबसे उत्तरी सिरे पर है जबकि कन्याकुमारी दक्षिणी सिरे पर है। तमिलनाडु भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जिसका क्षेत्र पूर्वी और पश्चिमी दोनों तटों पर है।
कन्याकुमारी में हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर का संगम है।
समुद्र तट राज्य के 14 जिलों से होकर गुजरता है और इसमें 15 प्रमुख बंदरगाह और आश्रयगृह, रेतीले समुद्र तट और खाड़ियां हैं।
तमिलनाडु तटरेखा प्राचीन सिल्क मार्ग का एक हिस्सा थी। चोल, पांड्या और चेरा राजाओं के साथ रोमन और ग्रीक व्यापारियों के व्यापार समझौतों में प्रवेश करने के साथ-साथ मसाला व्यापार में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका थी।
राज्य के 14 जिलों में फैले समुद्र तट के साथ, लगभग 15 लाख लोगों की बड़ी मछुआरा आबादी है, लेकिन तटरेखा अब मिटने लगी है।
अध्ययन से पता चलता है कि 422.94 किमी के तटरेखा के कटाव की सूचना है, 16.6 किमी में उच्च स्तर का कटाव है, 37.5 किमी में मध्यम स्तर का जबकि 369.63 किमी में कम कटाव है।
तटरेखा परिवर्तनों के राष्ट्रीय आकलन ने तमिलनाडु की तटरेखा पर 80 मानचित्र तैयार किए हैं। नेशनल सेंटर फॉर कोस्टल रिसर्च (एनसीसीआर), जो कि पर्यावरण और वन मंत्रालय का हिस्सा है, ने भी अध्ययन में कहा है कि सरकार द्वारा नीतियों और कार्यक्रमों को लाने से पहले, दीर्घकालिक तटरेखा परिवर्तनों की गहन समझ की आवश्यकता है।
अध्ययन में भाग लेने वाले एनसीसीआर के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने आईएएनएस को बताया कि दीर्घकालिक तटरेखा परिवर्तनों का विस्तार से अध्ययन किया जाना चाहिए, तटरेखा परिवर्तनों के व्यवहार के साथ-साथ तटरेखा परिवर्तनों की सीमा का भी ठीक से अध्ययन और चर्चा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी तटीय सुरक्षा योजना को लागू करने से पहले इन अध्ययनों की आवश्यकता है।
एनसीसीआर के अध्ययन के अनुसार, 1990 से 2022 तक राज्य में कटाव के कारण 1,802 हेक्टेयर भूमि का नुकसान हुआ है।
इसमें से रामनाथपुरम जिला 413.37 हेक्टेयर के साथ सबसे अधिक प्रभावित हुआ है, इसके बाद नागपट्टिनम 283.69 हेक्टेयर और कांचीपुरम 186.06 हेक्टेयर के साथ है। दिलचस्प बात यह है कि कटाव के कारण राजधानी चेन्नई को केवल 5.03 हेक्टेयर भूमि का नुकसान हुआ है।
तमिलनाडु के नीति निमार्ताओं द्वारा अनुमानित समुद्री स्तर के परिवर्तनों को गंभीरता से लिया जा रहा है और राज्य में वैज्ञानिकों द्वारा समुद्र में होने वाले बदलावों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है।
तमिलनाडु जल कार्य विभाग फील्ड डेटा एकत्र करने और नियमित आधार पर इसका विस्तार से विश्लेषण करने की प्रक्रिया में है। कटाव की गंभीरता को समझने के लिए राज्य नए और पुराने सैटेलाइट की तुलना भी कर रहा है। सरकार तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों के मानचित्रण के लिए जीआईएस को एक उपकरण के रूप में भी उपयोग कर रही है।
एनसीसीआर के सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि दिसंबर 2004 की सुनामी के चलते तमिलनाडु तट में अधिक कटाव हुआ था।
--आईएएनएस
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Rani Sahu
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