तमिलनाडू

राहुल ने विधायकों, सांसदों को तत्काल अयोग्यता से बचाने वाले अध्यादेश को फाड़ दिया था : के. अन्नामलाई

Rani Sahu
25 March 2023 3:04 PM GMT
राहुल ने विधायकों, सांसदों को तत्काल अयोग्यता से बचाने वाले अध्यादेश को फाड़ दिया था : के. अन्नामलाई
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चेन्नई (आईएएनएस)| तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने शनिवार को कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 28 सितंबर 2013 को विधायकों और सांसदों को तत्काल अयोग्यता से बचाने वाले अध्यादेश को फाड़ दिया था। के. अन्नामलाई ने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की आलोचना का जवाब देते हुए एक अपने ट्विटर अकाउंट से ट्वीट करते हुए लिखा, राहुल गांधी ने 28 सितंबर 2013 को विधायकों और सांसदों को अयोग्यता से तीन महीने का समय देने वाले अध्यादेश को फाड़ दिया था।
तमिलनाडु के सीएम एम.के. स्टालिन ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सांसद पद से अयोग्य ठहराए जाने को फासीवादी कार्रवाई और प्रगतिशील लोकतांत्रिक ताकतों पर हमला करार दिया था और इस निर्णय को रद्द करने की मांग की थी। स्टालिन ने यह भी कहा कि बीजेपी की बदले की राजनीति का निरंकुशता में कायापलट खतरनाक गति से हो रहा है।
अन्नामाला ने स्टालिन पर निशाना साधते हुए कहा कि 'राहुल गांधी को देश के ओबीसी और तेली समाज का अपमान करने और माफी नहीं मांगने के लिए अदालत के फैसले के बाद अयोग्य घोषित किया गया है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी आदतन थे और अतीत में उन्होंने सार्वजनिक रूप से झूठ बोलने के लिए माफी मांगी थी।
उल्लेखनीय है कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुसार, सिटिंग सांसदों और विधायकों को कुछ अपराधों के लिए दोषी ठहराया जाता है तो उनके पास अयोग्यता से सुरक्षा प्राप्त है। और उन्हें अयोग्य घोषित करने के लिए तीन महीने की अवधि दी जाती है।
अधिनियम में यह भी कहा गया है कि यदि मौजूदा विधायक या सांसद सजा की तारीख से तीन महीने के भीतर पुनरीक्षण के लिए अपील दायर करते हैं, तो लोक सेवक को तब तक अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता जब तक कि अपील या पुनरीक्षण का निस्तारण नहीं की जाती।
सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में लिली थॉमस बनाम भारत संघ के फैसले में इसे रद्द कर दिया था और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 (4) को भी रद्द कर दिया था।
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने जनप्रतिनिधित्व (द्वितीय संशोधन और मान्यकरण) विधेयक, 2013 के माध्यम से फैसले को रद्द करने का प्रयास किया था। राहुल गांधी ने 28 सितंबर 2003 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अध्यादेश की प्रति को बकवास बताते हुए फाड़ दिया था।
--आईएएनएस
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