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चेन्नई (आईएएनएस)। मद्रास हाईकोर्ट ने मंगलवार को तमिलनाडु के गिरफ्तार मंत्री सेंथिल बालाजी की पत्नी द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर बंटा हुआ फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति जे. निशा बानू ने जहां मंत्री की गिरफ्तारी को अवैध बताया और उन्हें तत्काल प्रभाव से रिहा करने का आदेश दिया। वहीं, न्यायमूर्ति डी. भरत चक्रवर्ती ने न्यायमूर्ति निशा बानू के फैसले को टाल दिया। अब यह फैसला मुख्य न्यायाधीश एस.वी. गंगापुरवाला द्वारा तैनात तीसरे न्यायाधीश द्वारा किया जाएगा।
रिपोर्ट के अनुसार, सेंथिल बालाजी की पत्नी ने अपने पति की गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए मद्रास उच्च न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी। याचिका में उन्होंने दलील दी थी कि ईडी गिरफ्तारी के समय प्रक्रियाओं का पालन करने में विफल रही है।
गिरफ्तार मंत्री की पत्नी एस. मेगाला ने अदालत से प्रार्थना की कि गिरफ्तारी को अवैध घोषित किया जाए और उनके पति को रिहा किया जाए। वहीं, ईडी ने अपनी प्रतिक्रिया याचिका में कहा था कि सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी पूरी तरह से कानूनी थी। उन्हें आगे की पूछताछ के लिए विभाग को सौंप दिया जाना चाहिए।
दो न्यायाधीशों, न्यायमूर्ति जे. निशा बानू और न्यायमूर्ति भरत चक्रवर्ती ने 15 जून को एक बैठक में अंतरिम आदेश पारित किया था। इसके अलावा मंत्री को एक सरकारी अस्पताल से, जहां वह ईडी अधिकारियों की हिरासत में थे, एक निजी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया था।
एंजियोप्लास्टी में उनकी कोरोनरी आर्टिलरी में तीन ब्लॉक पाए जाने के बाद डॉक्टरों ने मंत्री के लिए तत्काल कोरोनरी बाईपास सर्जरी को प्राथमिकता दी थी। मंत्री का ऑपरेशन किया गया और वह फिलहाल उसी अस्पताल में हैं, जहां उनकी सर्जरी हुई थी।
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