राजस्थान कांग्रेस और प्रदेश की गहलोत सरकार आदिवासी दिवस पर बड़ा सियासी मैसेज 9 अगस्त को राहुल गांधी की जनसभा के माध्यम से देने जा रही है। मानगढ़ धाम आदिवासियों का प्रमुख तीर्थ स्थल है। राजस्थान के साथ ही मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से भी यहां बड़ी संख्या में आदिवासी आते हैं। चुनावी राज्यों में यहां से राहुल गांधी विधानसभा चुनाव का शंखनाद करेंगे। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी साथ आएंगे। कांग्रेस के संभावित प्रत्याशी भी जनसभा में मौजूद रहेंगे। सभी को ज़्यादा से ज़्यादा समर्थकों की भीड़ राहुल की सभा में लेकर आने और अपना जनाधार दिखाने को कहा गया है।
संभावित प्रत्याशियों, टिकट दावेदारों, मंत्री-विधायकों, संगठन पदधिकारियों को भीड़ जुटाने का टास्क
बांसवाड़ा के अलावा डूंगरपुर, उदयपुर, प्रतापगढ़, राजसमंद, चित्तौड़गढ़ और सिरोही से भी संभावित प्रत्याशियों, टिकट दावेदारों, कांग्रेस नेताओं, ज़िले के प्रभारी, अध्यक्ष, ज़िला कांग्रेस कमेटी, ब्लॉक और मंडल, बूथ लेवल के कार्यकर्ता, पार्षद,ज़िला परिषद, नगरीय निकायों के कांग्रेस जन प्रतिनिधियों, पूर्व पदाधिकारियों को भी क्षेत्र से जनता को राहुल गांधी की मानगढ़ धाम पर होने वाली जनसभा में लेकर पहुंचने को कहा गया है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता, रघुवीर मीणा, मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय, मंत्री अर्जुन बामणिया, विधायक गणेश घोघरा समेत ट्राइबल बेल्ट के कांग्रेस नेताओं, कांग्रेस को समर्थन देने वाले नेताओं को भी सभा में आमंत्रित किया गया है।
रंधावा, डोटासरा, गहलोत, पायलट, तीनों सह प्रभारी और मंत्री रहेंगे मौजूद
मानगढ़ धाम में होने वाली जनसभा में सीएम अशोक गहलोत, प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट, तीनों सह प्रभारी- अमृता धवन, वीरेंद्र सिंह राठौड़, काजी निजामुद्दीन और मंत्री-विधायक मौजूद रहेंगे।
पीएम मोदी की पिछली 6 सभाओं से ज्यादा भीड़ आएगी
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा है कि विश्व आदिवासी दिवस पर 9 अगस्त को मानगढ़ धाम में कांग्रेस बड़ी सभा करने जा रही है। राहुल गांधी को इस सभा के लिए निमंत्रण भेजा गया था। प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने बताया है कि उन्होंने सभा की मंजूरी दे दी है। राजस्थान में पिछले दिनों पीएम नरेंद्र मोदी की 6 जन सभाएं हुई हैं। उन सभी सभाओं में मिलाकर जितने लोग आए थे, उससे कहीं ज्यादा लोग मानगढ़ की विश्व आदिवासी दिवस की कांग्रेस की जनसभा में आएंगे।
मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की सालों से मांग, हम देंगे यादगार तोहफा
डोटासरा ने कहा-मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की सालों से मांग की जा रही है। जब पीएम नरेंद्र मोदी मानगढ़ आए थे, तो उन्होंने उस पर एक शब्द नहीं बोला। बल्कि राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच राय मशविरा करने की बात कहकर चले गए। राजस्थान में हमारी कांग्रेस सरकार है। राहुल गांधी की मौजूदगी में हम चाहेंगे कि मानगढ़ धाम के लिए ऐसा तोहफा दें, जिससे आदिवासियों का उत्साह बना रहे। हम इसे राष्ट्रीय स्मारक तो नहीं घोषित कर सकते, लेकिन राष्ट्रीय स्मारक जैसी ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में घोषणाएं कर सकते हैं, जो आदिवासियों के बीच हमेशा यादगार रहेगी।
राजस्थान में कांग्रेस सरकार रिपीट होने के साथ देश में यूपीए सरकार बने-डोटासरा
डोटासरा बोले-राजस्थान में हमारी कांग्रेस सरकार रिपीट होने के साथ देश में भी यूपीए की सरकार बने। इस सोच से हम काम कर रहे हैं। हम जनता की सेवा के लिए काम करते हैं। जबकि बीजेपी वाले वोट बटोरने का लिए काम करते हैं। उनकी सेवा पॉलिटिकल है। हम विश्वास के लिए आदिवासी दिवस मना रहे हैं। राज्य के आदिवासी भाइयों के मध्य राहुल गांधी का आना और हम सबका वहां जाना पॉलिटिकल से ज़्यादा सोशल मैसेज है। मैसेज यह है कि कांग्रेस आदिवासी भाइयों और क्षेत्र के लोगों के साथ हरदम खड़ी है। आदिवासी कल्याण और उत्थान के लिए हम काम करते रहेंगे। उनके सुख-दुख में भागीदार बनेंगे।
बड़ी घोषणाएं करेंगे गहलोत-सूत्र
सीएम अशोक गहलोत लगातार राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी के विज़न के आधार पर काम कर रहे हैं । हाल ही में गिग वर्कर्स के लिए बकायदा विधानसभा से बिल पास करवाया गया है। अब मानगढ़ धाम की जनसभा में सीएम गहलोत राहुल गांधी की मौजूदगी में मानगढ़ धाम के डवलपमेंट प्रोजेक्ट को और मजबूती दे सकते हैं। राज्य लेवल पर स्मारक की घोषणा के साथ यहां धार्मिक पर्यटन और आदिवासी क्षेत्र के लिए कुछ बड़ी घोषणाएं और कर सकते हैं।
कांग्रेस आदिवासी वोटर्स को अपना परंपरागत वोट बैंक मानती रही है। लेकिन पिछले चुनाव में आदिवासी क्षेत्र में बीजेपी और बीटीपी जैसी पार्टियों ने भी अपनी पैठ बनाकर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया है। आदिवासी बाहुल्य ज़िलों- बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ और उदयपुर में कांग्रेस के सामने ज़्यादा सीटें जीतने की चुनौती है। क्योंकि यहां सीटें पक्की करके कांग्रेस चुनावी वैतरणी पार करने की तैयारी में जुटी है। मानगढ़ धाम से विधानसभा चुनाव का कांग्रेस शंखनाद करेगी। पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में भी आदिवासियों में इसकी गूंज जाएगी। राहुल गांधी की यह सभा प्रदेश में पहली बड़ी चुनावी जनसभा होने जा रही है।
क्या है सीटों का गणित- 2018, 2013 विधानसभा चुनाव परिणाम ?
प्रदेश में अनुसूचित जनजाति (आदिवासी समुदाय) के लिए 25 विधानसभा सीटें आरक्षित हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आदिवासी समुदायों को कांग्रेस से जोड़ने की दिशा में दिन रात लगे हुए हैं। राजस्थान में कभी अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं को कांग्रेस का मजबूत वोट बैंक बना जाता था। लेकिन धीरे-धीरे भाजपा और भारतीय ट्राइबल पार्टी ने इसमें सेंध लगा ली। इस कारण बहुत से आदिवासी मतदाता कांग्रेस से दूर हो गए। उन्हें फिर से कांग्रेस में लाने के लिए ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रदेश की आरक्षित सीटों पर विशेष फोकस कर रहे हैं। इन 25 रिज़र्व सीटों के अलावा 6-7 सीटें और हैं, जहां आदिवासी मतदाताओं की हार जीत में बड़ी भूमिका रहती है। जिस तरफ आदिवासी मतदाताओं का झुकाव हो जाता है, उस प्रत्याशी की जीत निश्चित मानी जाती है। 2018 के विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 25 सीटों में से कांग्रेस को 12 सीटें और भाजपा को 9 सीटें मिली थीं। 4 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी विजयी हुए, जिन्होंने बाद में कांग्रेस को समर्थन दे दिया।पिछले विधानसभा चुनाव में यदि आरक्षित वर्ग की सीटों पर कांग्रेस को भारी बढ़त नहीं मिलती तो कांग्रेस की सरकार नहीं बन पाती। 2013 के विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 25 सीटों में से भाजपा ने 18 और कांग्रेस ने मात्र 4 सीटें जीती थीं। उस चुनाव में एससी-एसटी की कुल आरक्षित 59 सीटों में से कांग्रेस को मात्र 4 सीटें ही मिली थीं, जबकि बीजेपी को 50 और अन्य को 5 सीटें मिली थीं। केवल 4 सीटों पर ही सिमट जाने के कारण कांग्रेस 2013 में 200 में से 21 सीटें ही जीत पाई थी और 50 आरक्षित सीटें जीतने वाली भाजपा ने बंपर बहुमत से सरकार बनाई थी।
2008 विधानसभा चुनाव में यह रहा नतीजा
साल 2008 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अनुसूचित जनजाति की 16 सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा ने अनुसूचित जनजाति की 2 सीटों पर विजय प्राप्त की थी। 2008 के विधानसभा चुनाव में आरक्षित वर्ग की कुल 34 सीटें कांग्रेस और भाजपा केवल 17 सीटें ही जीत पाई थी। तब आरक्षित 34 सीटें जीतने के कारण कांग्रेस जोड़-तोड़ कर प्रदेश में अपनी सरकार बनाने में सफल हो गई थी। उस समय कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। लेकिन कांग्रेस ने बसपा के 6 विधायकों को पार्टी में शामिल कर प्रदेश में सरकार बना ली थी। अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 25 सीटों में पहले मुख्य मुकाबला कांग्रेस- भाजपा के बीच होता था। लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) के नाम से आदिवासियों के अधिकारों की मांग को लेकर बनी नई पार्टी ने 11 सीटों पर चुनाव में उतरकर 0.72 प्रतिशत वोट हासिल कर 2 विधानसभा सीटें जीत ली थीं। अबकी बार फिर से बीटीपी आदिवासी भील प्रदेश की मांग लेकर जोर शोर से चुनाव में उतरने जा रही है। जिससे आदिवासी बेल्ट एरिया में तकरीबन 20 सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना बनती नज़र आ रही है। ऊपर से बागियों के भी खड़े होने का डर है। सीएम गहलोत को अच्छे से मालूम है कि उन्हें 3 बार मुख्यमंत्री बनने में आदिवासी और आरक्षित सीटों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उसी आधार पर उनका फोकस इन सीटों पर सर्वाधिक है। यही वह कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के नेता भी बार-बार आदिवासी क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं।