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रिपोर्टर-हस्ती मल साहू
राजसमंद जिले के आमेट उपखण्ड के समीपवर्ती झौर ग्राम पंचायत के रकमपुरा गाव में मेवाड़ के पारम्परीक नृत्य गवरी के मंचन को देखने श्रद्वालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। रकमपुरा गांव में ली हुई गवरी का पिछले एक महीने से मंचन चल रहा था। रकमपुरा में दो दिनों तक गवरी का मंचन हुआ।
गांव के सामाजिक कार्यकर्ता शंकर लाल गाडरी, गिरधारी लाल गाडरी, सुरेंद्र सिंह ने बताया इस गवरी का आयोजन समस्त ग्रामवासी रकमपुरा की ओर से किया गया। इस गवरी का मंचन भील समाज के द्वारा किया गया। इस मे जो कलाकार होते है वो एक महीने तक अपने घर-परिवार से दूर रहते है। यह गवरी पिछले एक महीने से रकमपुरा गाँव सहित ओर अन्य गांवों में अपनी कला का प्रदर्शन दिखाते हुए रविवार को अपने गांव रकमपुरा पहुंची। कार्यकर्ताओं ने बताया कि रविवार की सुबह से गवरी का मंचन रकमपुरा गांव के देवनारायण परिसर में प्रारम्भ हुआ, जिसमें भील समाज के प्रतिभावान के युवा व बुजुर्ग कलाकारों ने अपनी पारम्परीक चली आ रही परम्परा के अनुसार अपनी कला का प्रदर्शन दिखाया। गवरी के मंचन में कलाकारों ने चित्तोड़ का किला तोडऩा, हटिया, कंजर, मीणा, गाडुलिया लोहार, मीणा-बंजारा आदि कई खेलों का प्रदर्शन किया।
मंदिर परिसर में रविवार दिन भर, रात्रि जागरण ओर सोमवार दिन भर गवरी के मंचन को देखने के लिए हजारों की तादाद में दर्शकों ने लुफ्त उठाया। गवरी के मंचन में भील समाज के युवा व बुजुर्ग कलाकरों ने अपनी अलग-अलग भाषा और कला से हिन्दी, अंग्रेजी, गुजराती, मेवाड़ी, मारवाडी भाषा का प्रयोग करते हुए उपस्थित लोगो को हंसा हंसा कर लोटपोट कर दिया। सोमवार की दोपहर तक गवरी का मंचन हुआ उसके बाद में डीजे की धुन पर गांव के गली मोहल्ले से गंगा, गोरजिया,ज्वारा की विशाल शोभायात्रा निकाली गई।
शोभायात्रा को देखने गांव सहित आस पास के लोगों ने भाग लिया। शोभायात्रा रकमपुरा गांव के देवनारायण परिसर से शुरू हुई जो गांव से गुजरती हुई गांव के समीप तालाब पर पहुंची जहां इस गवरी का विसर्जन हुआ। कार्यक्रम के अंत में गवरी के कलाकारों का सम्मान किया गया। गवरी समापन के बाद सभी ग्रामवासियों की ओर से महाप्रसाद का आयोजन भी रखा गया।
Rani Sahu
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