राजस्थान

इतिहास में पहली बार नंबर-1 बना सीकर डिपो

Admin4
31 July 2022 2:05 PM GMT
इतिहास में पहली बार नंबर-1 बना सीकर डिपो
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credit by;news18

संदीप, सीकर. प्रदेश में रोडवेज यानी कि राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की खस्ता हालत और इसके घाटे की बात शायद ही किसी से छुपी हुई है. हर जगह से रोडवेज की खस्ता हालत की खबरें आती रहती हैं. लेकिन सीकर में एक महिला अधिकारी ने रोडवेज की सूरत बदल दी. जो काम रोडवेज की स्थापना के बाद आज तक नहीं हुआ था वह अब हुआ है.

सीकर डिपो कभी भी पहले नंबर पर नहीं आया और उसके बाद जब एक महिला अधिकारी के हाथ में कमान आई तो लगातार तीन महीने से पहले नंबर पर बना हुआ है. महिला अधिकारी ने इसे 32 वें से पहले स्थान पर पहुंचाया है. हालांकि महिला अधिकारी खुद इसे रोडवेज कर्मचारियों की मेहनत बताती है लेकिन इससे पहले यह कारनामा कभी नहीं हुआ.

प्रदेशभर में चलती हैं 52 डिपो

पूरे प्रदेश में रोडवेज के 52 डीपो संचालित हो रहे हैं, जहां से हर दिन हजारों बसे चलती हैं. कुछ महीने पहले तक सीकर डिपो की स्थिति बेहद खराब थी और यहां भी न तो बसे समय पर चल रही थी और ना यात्री भार मिल रहा था. इसके बाद पिछले साल अक्टूबर में मुनकेश लांबा को यहां का चीफ मैनेजर बनाया गया. जब उन्होंने पद संभाला तो सीकर डिपो प्रदेश में 32 वें स्थान पर था.

उन्होंने आते ही इसमें सुधार करना शुरू किया और मार्च तक चौथे स्थान पर आ गया था. लेकिन अभी भी प्रदेश में कई जिले यहां से आगे थे. लगातार मॉनिटरिंग की, बसों के रूट बढ़ाएं, जगह-जगह फ्लाइंग तैनात की दिन रात मेहनत कर इस डीपो को मई के महीने में पहले नंबर पर लाकर खड़ा कर दिया.

जून और जुलाई में पहले स्थान पर डिपो

इसके बाद जून और जुलाई की रैंकिंग में भी सीकर डिपो प्रदेश में पहले स्थान पर कायम है. यानी कि पहली बार लगातार तीन महीने तक पहले स्थान पर कायम रहा. सीकर डिपो की हालत कितनी खराब थी इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हर महीने रैंकिंग जारी होती है. लेकिन डीपो कभी भी पहले स्थान पर नहीं आया. मुनकेस लांबा बताती हैं कि सीकर डीपो का यात्री भार भी बहुत कम था पहले जो 75 से 76 प्रतिशत तक था वह आज 118 से 122 प्रतिशत तक पहुंच गया है.

सीकर रोडवेज में यह बदलाव की तारीख लिखी है. सीकर की ही बेटी मुनकेस लांबा ने. उनका कहना है कि उन्हें इसके लिए कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. कई बार विरोध किया लेकिन लगातार अपने काम में लगी रही. इसके साथ साथ साथ खुद कर्मचारियों के साथ आकर छुट्टी के दिन भी काम करती है. इसी वजह से आज सीकर डिपो इस स्थिति में पहुंच गया है. आज सीकर डीपो से हर दिन 112 बसे 45000 किलोमीटर का सफर तय कर रही हैं.


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