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राजस्थान | शहर के सबसे बड़े किशोरपुरा मुक्तिधाम में 208 पितरों को मोक्ष का इंतजार है। लॉकर में बंद अस्थियां वंशजों की राह देख रही हैं। लॉकर के तालों पर जंग लग चुका है। किसी पवित्र स्थल पर जल में अस्थि विसर्जन होने पर जीवात्मा को मोक्ष मिलने की पौराणिक मान्यता है। इसका सम्मान करते हुए किशोरपुरा मुक्तिधाम में चेरिटेबल ट्रस्ट ने 60 लॉकर तथा कर्मयाेगी सेवा संस्थान ने दाे अलमारियां रखवा रखी हैं। ये निशुल्क हैं। ट्रस्ट का एक कर्मचारी हर समय वहां रहता है। संचयन के बाद परिजन अस्थियां घर न ले जाकर कलश में यहीं रख देते हैं।
तीसरे की बैठक के बाद जैसे भी सुविधा होती है, परिजन कलश हरिद्वार ले जाकर अस्थियां विसर्जित करते हैं। कोराना की दोनों लहर में ऐसा भी समय आया था जब लॉकर और अलमारियां भर चुकी थीं। हालात ऐसे हो गए थे कि कुछ दिवंगतों की अस्थि संग्रहण को लिए कोई नहीं आया। कुछ के परिजन आए तो महीनों तक अस्थियां वहीं पड़ी रहीं। लॉकर फुल हो गए थे तब कट्टों में अस्थियां रखनी पड़ी थीं। कोरोना से हालात सुधरने लगे तो वंशज आने लगे। यथोचित कर्मकांड किए। लेकिन, अब भी लाॅकर में 18 और अलमारियों में 190 दिवंगतों की आत्मा वंशजों के इंतजार में तालों में बंद हैं।
Tagsश्राद्ध पक्ष: मोक्ष के इंतजार में श्मशान के लॉकर में बंद हैं 208 पूर्वजों की अस्थियांShraddha Paksha: The ashes of 208 ancestors are locked in the locker of the crematorium waiting for salvation.ताज़ा समाचारब्रेकिंग न्यूजजनता से रिश्ताजनता से रिश्ता न्यूज़लेटेस्ट न्यूज़हिंदी समाचारआज का समाचारनया समाचारTaza SamacharBreaking NewsJanta Se RishtaJanta Se Rishta NewsLatest NewsHindi NewsToday
Harrison
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