राजस्थान

पाताल में खोज रहे पानी, प्यास बुझ रही न हो पा रही खेती

Shantanu Roy
1 July 2023 12:17 PM GMT
पाताल में खोज रहे पानी, प्यास बुझ रही न हो पा रही खेती
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करौली। करौली जिले का अधिकतर हिस्सा माड क्षेत्र के अन्तर्गत आता है, जहां पेयजल किल्लत की कई वर्षों से समस्या चल रही है। बरसात की कमी, अत्यधिक जलदोहन आदि कारणों से माड क्षेत्र में भूमिगत जलस्तर में गिरावट बढ़ती जा रही है। बीते दो दशक से पर्याप्त बारिश नहीं होने से माड में जलस्रोत सूख गए हैं। नलकूप, हैण्डपंप आदि हवा फेंक रहे हैं। जो तालाब पहले वर्षभर लबालब भरे रहते थे, उनमें अब पानी नहीं बचा है। अधिकांश नलकूप भी नकारा साबित हो रहे हैं। पहले गर्मी के दिनों में ही पानी की समस्या रहती थी, लेकिन अब तो साल भर पानी की किल्लत रहने लगी है। पानी की समस्या आमजन के सामने ही नहीं वन्यजीवों, मवेशियों के सामने गंभीर रूप लेती जा रही है।
माड क्षेत्र में अब सैकड़ों फीट तक पानी नहीं मिलता है। नलकूप खुदवाने के लिए लाखों रुपए की लागत बेकार चली जाती है। कई जगह तो 500 से 600 फीट तक भी पानी नहीं मिलता। क्षेत्र के बांधों में भी एक दशक से पानी नहीं है। साल भर सूखे पड़े रहते हैं। पानी की समस्या इतनी गंभीर है, कि लोगों का माड के इलाके में जीवन यापन करना काफी मुश्किल हो गया है। पानी की कमी के चलते खेतीबाड़ी अब गेहूं, सरसों की पैदावार तक ही सिमट कर रह गई है। जलदाय विभाग नादौती के सहायक अभियंता जितेश मीना ने बताया कि बीते दो दशक में भूमिगत जलस्तर में गिरावट आ रही है। अत्यधिक जलदोहन के कारण समस्या है। बरसात की कमी भी भूमिगत जलस्तर में गिरावट का बड़ा कारण है।
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