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जयपुर। स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी टाइप जैसी दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे बच्चो के परिजनों ने जेके लोन अस्पताल के अधीक्षक डॉ. आरके गुप्ता को ज्ञापन सौपकर सरकार से बच्चो के इलाज को लेकर गुहार लगाई है। अस्पताल अधीक्षक ने कहा की दुर्लभ बीमारी के लिए 14 बच्चो का इलाज चल रहा हैं। राज्य सरकार इस पर 1 करोड़ रूपए खर्च कर चुकी हैं तथा क्राउडफण्डिंग में केवल 13 लाख आये हैं। डॉक्टरों ने मांग की है कि क्राउडफण्डिंग में पैसा बढ़ाया जाये इसके लिए सरकार को पत्र भी भेजा गया हैं।
वहीं इस बीमारी से पीड़ित तनिष्क के पिता का कहना है कि वे फिर अपने बच्चे की जिंदगी बचाने के लिए लगातार सरकार से लगा चुके हैं, मगर सरकार बच्चे की सुध नहीं ले रही है। तनिष्क को दो साल के भीतर इंजेक्शन जिसकी कीमत 16 करोड़ है वो लगना था, मगर इसमें सरकार ने कुछ नहीं किया, तनिष्क के पिता के लिए 16 करोड़ है इक्ट्ठा कर पाना असंभव था, अब ये इंजेक्शन नहीं लग सकता क्यों की बच्चा 2 साल से ऊपर हो चूका हैं।
रिस्डिप्लाम एक ओरल दवा हैं, जिसकी कीमत करीब 72 लाख हैं परन्तु ये वजन के हिसाब से दी जाती हैं, तनिष्क का वजन 7 किलो के करीब हैं, इसलिए इसको करीब 30 -32 लाख के करीब लगेगी और बच्चे को बचाने का केवल यही एक विकल्प हैं। तनिष्क के पिता का कहना हैं कि सी एम अशोक गहलोत, स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा से मिलके गुहार लगा चुके हैं, परन्तु वहा से केवल अस्वासन के आलावा कुछ नहीं मिला हैं। बच्चा अभी हाल ही में 27 सितम्बर से 6 अक्टूबर तक जे के लोन में एडमिट किया गया था, उसे बार बार एडमिट करवाना पड़ता हैं, क्योंकि बच्चे की इम्युनिटी बेहद कम हैं।
(जनता से रिश्ता इस खबर की पुष्टि नहीं करता है ये खबर जनसरोकार के माध्यम से मिली है और ये खबर सोशल मीडिया में वायरलहो रही थी जिसके चलते इस खबर को प्रकाशित की जा रही है। इस पर जनता से रिश्ता खबर की सच्चाई को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं करता है।)
न्यूज़ क्रेडिट : dainiknavajyoti
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