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राजस्थान : कोटा में भारी बारिश के चलते अलर्ट मोड पर एनडीआरएफ की टीमें

Tara Tandi
12 July 2023 8:19 AM GMT
राजस्थान : कोटा में भारी बारिश के चलते अलर्ट मोड पर एनडीआरएफ की टीमें
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कोटा: राजस्थान में मानसून की एंट्री के बाद कई जिलों में भारी बारिश से जनजीवन प्रभावित हो रहा है. जिसके तहत जलभराव वाले इलाकों पर रेस्क्यू टीमें तैनात की गई हैं ताकि कोई जनहानि ना हो. हाड़ौती क्षेत्र जो नदियों से घिरा हुआ है वहां बारिश के मौसम में अक्सर भारी बारिश होने के बाद नदियां उफान पर आ जाती हैं और कई गांव टापू में तब्दील हो जाते हैं. जिस वजह से इस साल जिला प्रशासन ने पहले से ही रेस्क्यू टीमों को अलर्ट कर दिया है और टीमों ने अपना मोर्चा भी संभाल लिया है.
कोटा में भारी बारिश और बाढ़ की संभावना को देखते हुए एनडीआरएफ की टीमें कोटा पहुंच चुकी हैं. करीब पांच दर्जन एनडीआरएफ के जवान कोटा में तैनात कर दिए गए हैं. एनडीआरएफ के जवान शहर सहित ग्रामीण अंचल के इलाकों में बाढ़ संभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं. भारी बारिश और बाढ़ की संभावनाओं के चलते जवान पहले से ही मुश्किल हालातों से निपटने के लिए पूरी तरह से अलर्ट पर हैं.
वहीं, एनडीआरएफ के इंचार्ज योगेश कुमार मीणा ने बताया कि कोटा में बाढ़ और जलभराव वाले इलाके का दौरा किया गया है और हालात बिगड़ने से पहले समय रहते हमारी टीमें लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के लिए तैयार हैं. पिछली बार भी एनडीआरएफ की टीमों ने कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ समेत आसपास के इलाकों में बाढ़ और जलभराव वाले स्थानों से रेस्क्यू कर करीब 500 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया था.
ये बड़ी नदियां गांवों को टापुओं में करती हैं तब्दील
हाड़ौती की प्रमुख नदियों में चंबल, पार्वती, परवन, काली सिंध, उजाड़ समेत अन्य छोटी नदियां ऐसी हैं जो बारिश के मौसम में उफान पर आ जाती हैं और नदी किनारे स्थित गांव टापू में तब्दील हो जाते हैं. ऐसे में भारी बारिश की आशंका के चलते नदी के किनारे रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने के लिए ज़रूरी कार्रवाई की जा रही है. कोटा नगर निगम की रेस्क्यू टीम के साथ एसडीआरएफ, एनडीआरएफ की टीमें भी पहले से ही तैनात कर दी गई हैं.
रिवर फ्रंट से कोटा शहर की निचली बस्तियां हुई सुरक्षित
कोटा में चंबल नदी की डाउनस्ट्रीम में दोनों और विकसित किए गए पर्यटन स्थल चंबल रिवर फ्रंट से करीब ढाई किलो मीटर नदी के दोनों किनारों पर स्थित निचली बस्तियां पूरी तरह से सुरक्षित हो गई हैं. कोटा बैराज से भारी पानी की निकासी के बाद भी अब इन बस्तियों में जलभराव का अंदेशा खत्म हो गया है. वहीं रिवर फ्रंट के किनारे बनाई गई सेफ्टी वॉल और करीब ढाई सौ फीट ऊंचे बनाए गए स्ट्रक्चर से बाढ़ का खतरा हमेशा के लिए टल गया है.
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