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कोटा शहर का सबसे बड़ा नाला रामगंजमंडी इन दिनों लोगों के लिए मुसीबत बना हुआ है। बड़े नाले के जगह-जगह जर्जर होने से गंदगी का अंबार लगा हुआ है। यहां तक कि 7 किलोमीटर क्षेत्र में नाला भी नहीं ढका है। 10 किलोमीटर लंबे नाले से पूरे शहर की गंदगी निकलती है। यह नाला शहर के छोटे नालों और नालों से जुड़ा हुआ है। आबादी क्षेत्र से निकलने वाले नाले के कारण शहरवासी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। इसके बावजूद जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। शहर के साबू खेल मैदान से निकलने वाले नाले का अंतिम छोर सांडपुर गांव है। जिससे शहर की आधी आबादी प्रभावित हो रही है। नाला ढके नहीं होने के कारण यह हादसों का भी अड्डा बन गया है। लोगों ने कहा कि महीने में एक-दो हादसे तो आम बात हो गई है।
रामगंजमंडी शहर के 2,667 एकड़ में फैला हुआ है। 2011 की जनगणना के अनुसार शहर की आबादी 43 हजार है। जिसमें कई वर्ष पूर्व नगर पालिका द्वारा शहर की गंदगी की निकासी के लिए साबू क्रीड़ांगन से सांडपुर तक करीब 10 किलोमीटर लंबी नाली का निर्माण कराया गया था. शहर के बाजारों के छोटे नाले बड़े नाले में मिल गए। आबादी गौशाला से ही शुरू हो जाती है। कॉलोनियों के बीच से नाला बह रहा है। जिससे कॉलोनी वासियों को नाला पार करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। किसानों के खेत के रास्ते में एक बड़ा नाला भी है। जिससे कृषि यंत्रों को खेत तक पहुंचाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। किसानों ने खेत में जाने के लिए लोहे की चादर नाले पर डाल दी है। ताकि नाला पार किया जा सके। ऐसे में चद्दर के पुल से गुजरने पर हादसे का खतरा बना रहता है। वहीं गौशाला के बाद ही जगह-जगह बड़ा नाला क्षतिग्रस्त हो रहा है। जिससे नाले का गंदा पानी बाहर निकलता रहता है। वहीं गौशाला के बाहर नाली का निर्माण अधूरा है। जो भी गंदगी रह जाती है।
HARRY
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