मां विंध्यवासिनी ने मिर्जापुर धाम में विराजने से पहले शेरपुर (गिरवां) को अपने निवास के रूप में चुना था, लेकिन मां के रौद्र रूप से घबराये पर्वत ने उनका भार सहन करने से इन्कार कर दिया था, जिससे नाराज मां विंध्यवासिनी ने पर्वत को कोढ़ी हो जाने का श्राप दे दिया था। हालांकि पर्वत के क्षमा मांगने पर मां ने उसे नवरात्र की नवमी को उस पर्वत पर विराजने का वरदान भी दिया, लेकिन तभी इस पर्वत के पत्थर काले से सफेद हो गये। नवरात्र की अष्टमी को मां का दरबार पर्वत पर विराजी मां विंध्यवासिनी के मंदिर में लगता है, उस दिन मंदिर के नीचे स्थित मां के पट बंद रहते हैं।
किंवदंती द्वापर युग की बताई जाती है। देवकी और वसुदेव की सात निरीह संतानों की हत्या कंस ने महज इसलिये कर दी, क्योंकि उसकी सबसे प्रिय बहन देवकी की विवाह के बाद विदाई के समय आकाशवाणी हुई थी कि जिस बहन को तू इतने प्यार से विदा कर रहा है उसी का आठवां पुत्र तेरा काल होगा। बस इसी सच को कंस हजम नहीं कर पाया और उसने बहन को विदा करने के बजाय केश पकड़ककर भूमि पर घसीटना शुरू कर दिया और उसके पति वसुदेव समेत कठोर कारागार में डाल दिया।
आठवें पुत्र के रूप में भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं अवतार लिया। उनके अवतार लेते ही कारागार के ताले टूट गये। वसुदेव बालक श्रीकृष्ण को लेकर गोकुल गये, जहां यशोदा ने एक कन्या को जन्म दिया था। बालक कृष्ण को यशोदा के पास लिटाकर कन्या को अपने साथ ले आये। कंस को जैसे ही जानकारी लगी उसने आकर देवकी से उस कन्या को छीन लिया और उसकी हत्या करने के लिये जैसे ही कन्या को हवा में उछाला कन्या ने मां विंध्यवासिनी का रूप धारण कर लिया और अट्टहास कर कहा कि उसे मारने वाला अवतार ले चुका है और उसका अंत निश्चित है।
मां ने भक्तों का कल्याण करने के लिये शेरपुर (गिरवां) स्थित विशाल पर्वत को चुना, लेकिन मां के उस रौद्र रूप को देखकर घबराये उस पर्वत ने माता का भार सहन करने से इन्कार कर दिया। इस पर मां और भी अधिक क्रोधित हो गईं और पर्वत को कोढ़ी हो जाने का श्राप दे दिया। इसके बाद मां विंध्यवासिनी मिर्जापुर में विराज गईं।
इधर कोढ़ी हो जाने का श्राप मिलने से पश्चाताप में डूबे उस पर्वत ने मां से क्षमा मांगी। मां विंध्यवासिनी ने पर्वत को वरदान दिया कि नवरात्र की नवमी के दिन वह मिर्जापुर धाम को छोड़कर उस पर्वत पर आकर विराजेंगी। तभी से नवरात्र की अष्टमी के दिन पर्वत पर विराजीं मां विंध्यवासिनी के दर्शन और उनसे अपने मन की मुरादें मांगने वाले भक्तों की अपार भीड़ लगती है।
न्यूज़ क्रेडिट: amritvichar