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कोटा। कोटा दोपहर 12 बजे एमबीएस अस्पताल की ओपीडी पहुंचा। यहां मरीज बनकर पर्ची कटवाने के काउंटर पर खड़ा हुआ। बीच-बीच में सर्वर बंद होता रहा। कर्मचारियों ने आधा घंटे में पर्ची बनई। उसके बाद डॉक्टर के पास गया। डॉक्टर ने तीन तरह की दवा लिखी। दवा काउंटर पर पहुंचा। यहां एक घंटे कतार में खड़ा रहा। कार्मिक ने बताया कि तीनों दवाइयां खत्म हो गई। उसके बाद उसने एनएसी मोहर लगाई, फिर पुरानी ओपीडी कक्ष 124 में गया। वहां भीड़ लगी थी। यहां एनएसी के लिए फॉर्म भरा। उसके बाद 33 नंबर कमरे में उपअधीक्षक की सील लगवाने के लिए बोला। सील लगवाने के बाद उपभोक्ता केन्द्र दवा काउंटर पर पहुंचा, लेकिन यहां मना कर दिया, फिर प्रधानमंत्री जन औषधि केन्द्र पर पहुंचा। यहां भी मोक्सीफ्लोक्सासीव ड्रोप व ट्यूब व कारबोक्सीमेपिलसेलुलोस ड्रोप खत्म होने की बात कही गई।
मानसून सीजन में वातावरण में आर्द्रता बढ़ने से आई फ्लू तेजी से फैल रहा है। कई घरों में पूरा परिवार संक्रमण की चपेट में आ गया है। इसके चलते अस्पतालों में दो से तीन गुना ओपीडी बढ़ गई है। हालात ये हैं कि सरकारी अस्पतालों में आई फ्लू की दवाइयां खत्म हो गई हैं। एनएसी कटने के बावजूद मरीजों को उपभोक्ता केन्द्रों पर भी दवाइयां नहीं मिल रही। इसके चलते मजबूरन बाजार से दवाइयां खरीदना पड़ रहा है। कई मरीज दवाइयां नहीं मिलने पर बैरंग लौट रहे हैं। 3000 कुल ओपीडी एमबीएस अस्पताल में 300 से 400 नेत्र विभाग की ओपीडी स्कूल, कोचिंग व कॉलेज में भी आई फ्लू का प्रकोप फैला हुआ है। कई बच्चे आई फ्लू की चपेट में आ गए हैं। इनके स्टाफ भी चपेट में हैं। कई स्कूलों ने बच्चों को एडवाइजरी जारी करते हुए घरों पर ही रुकने की सलाह दी है।
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