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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती से एक दिन पहले यानी आज 1 अक्टूबर को राज्य में शांति एवं अहिंसा विभाग के गठन को मंजूरी मिल गई है। राज्यपाल कलराज मिश्र ने राज्य में शांति और अहिंसा विभाग के गठन के लिए कैबिनेट द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
मुख्यमंत्री गहलोत ने की थी घोषणा
सीएम अशोक गहलोत ने बजट घोषणा में राज्य में एक अलग शांति और अहिंसा विभाग के गठन की घोषणा की थी। वहीं, सीएम गहलोत की इस घोषणा को अंतिम रूप देते हुए कैबिनेट में इस विभाग के गठन का प्रस्ताव पारित किया था। कैबिनेट में तैयार इस प्रस्ताव को राज्यपाल कलराज मिश्र के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था। हालांकि, पहले भी शांति और अहिंसा निदेशालय खोला जा चुका है, लेकिन अब राज्यपाल की मंजूरी के बाद अलग से मंत्रालय भी बनाया जाएगा। इस बारे में सीएम गहलोत ने कहा था कि, 'आज के दौर में युवाओं को गांधी के विचारों से ज्यादा से ज्यादा जोड़ने की जरूरत है। इसके लिए राज्य सरकार पहले ही शांति एवं अहिंसा निदेशालय बना चुकी है और अब अलग विभाग बना रही है।'
शांति एवं अहिंसा विभाग की ये रहेगी कोशिश
ये पल राजस्थान के लिए बेहद खास है। क्योंकि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर प्रदेश में शांति और अहिंसा विभाग अस्तित्व में आ गया है। यह विभाग राज्य में महात्मा गांधी के संदेश को राज्य के निचले स्तर तक ले जाने और आपसी भाईचारा बढ़ाने का काम करेगा। बता दें कि, कला एवं संस्कृति विभाग इसका मूल विभाग होगा। गहलोत सरकार शांति और अहिंसा विभाग के माध्यम से युवाओं में सत्य और अहिंसा का संदेश देने के साथ-साथ आपसी भाईचारे को बढ़ावा देने की सराहनीय कोशिश कर रही है।
आपको बता दें कि, अलग से विभाग बनने के साथ ही राज्य में समय-समय पर गांधी जीवन दर्शन को लेकर चित्र प्रदर्शनी लगाई जाएगी और इसके साथ ही गांधी जीवन से जुड़े साहित्यों का प्रकाशन और उन्हें पढ़ने के लिए युवाओं को प्रेरित किया जाएगा।
न्यूज़ क्रेडिट: sachbedhadak
Admin4
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