राजस्थान
शिक्षा के मंदिर में सता रहा खतरे का डर, जर्जर हुए स्कूल भवन
Shantanu Roy
17 July 2023 12:30 PM GMT
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करौली। करौली गुढ़ाचंद्रजी. नए शिक्षा सत्र शुरू हुए करीब १५ दिन हो चुके हैं। स्कूलों में शिक्षण कार्य ने गति पकड़ ली है। लेकिन करीब डेढ़ माह गर्मी की छुट्टियां बिताकर स्कूल पहुंचे विद्यार्थियों के चेहरे पर नए सत्र में अध्ययन की खुशी तो है, लेकिन दशकों पुराने जर्जर स्कूलों की दशा देखकर उनके मन में डर भी रहता है। स्कूलों के जर्जर भवन से कहीं बरसात का पानी टपक रहा है तो कहीं प्लास्टर झड़ रहा है। सरकारी स्कूलों में विद्यार्थी भय के साए में अपने उज्जवल भविष्य का सपना बुन रहे हैं। करीब डेढ़ दशक पहले गुर्जरों की ढाण
गुढ़ाचंद्रजी. नए शिक्षा सत्र शुरू हुए करीब १५ दिन हो चुके हैं। स्कूलों में शिक्षण कार्य ने गति पकड़ ली है। लेकिन करीब डेढ़ माह गर्मी की छुट्टियां बिताकर स्कूल पहुंचे विद्यार्थियों के चेहरे पर नए सत्र में अध्ययन की खुशी तो है, लेकिन दशकों पुराने जर्जर स्कूलों की दशा देखकर उनके मन में डर भी रहता है। स्कूलों के जर्जर भवन से कहीं बरसात का पानी टपक रहा है तो कहीं प्लास्टर झड़ रहा है। सरकारी स्कूलों में विद्यार्थी भय के साए में अपने उज्जवल भविष्य का सपना बुन रहे हैं। करीब डेढ़ दशक पहले गुर्जरों की ढाणी के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय को क्रमोन्नति का तमगा तो सरकार ने दे दिया, लेकिन सुविधाएं अब तक नहीं मिली है। बैठने के लिए न पर्याप्त जगह है ना खेलने के लिए बेहतर मैदान।
ग्रामीणों ने बताया कि ढाणी में छात्रों की सुविधा के लिए राज्य सरकार ने 2006 में प्राथमिक विद्यालय को क्रमोन्नत कर उच्च प्राथमिक विद्यालय में तब्दील किया था। लेकिन विद्यालय में डेढ़ दशक बाद भी सुविधाओं का टोटा बना हुआ है। विद्यालय में 10 कमरे हैं। जिनमें से आधा दर्जन बिल्कुल क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। दो कमरों की पट्टियां टूटकर गिरने के कगार पर है। इसके अलावा एक दो कमरों में छत से प्लास्टर झडऩे के साथ सरिये बाहर निकल आए हैं। जिससे हमेशा हादसे का अंदेशा बना रहता है।
ग्रामीणों ने बताया कि ढाणी में छात्रों की सुविधा के लिए राज्य सरकार ने 2006 में प्राथमिक विद्यालय को क्रमोन्नत कर उच्च प्राथमिक विद्यालय में तब्दील किया था। लेकिन विद्यालय में डेढ़ दशक बाद भी सुविधाओं का टोटा बना हुआ है। विद्यालय में 10 कमरे हैं। जिनमें से आधा दर्जन बिल्कुल क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। दो कमरों की पट्टियां टूटकर गिरने के कगार पर है। इसके अलावा एक दो कमरों में छत से प्लास्टर झडऩे के साथ सरिये बाहर निकल आए हैं। जिससे हमेशा हादसे का अंदेशा बना रहता है। अधिकतर स्कूलों में व्यवस्थाएं ठीक नहीं होने से घास फूस उगे हुए हैं। जिससे विषैले जीवों का खतरा रहता है। बरसात के दिनों में स्कूलों में सांप, बिच्छु आदि जीव घूमते रहते हैं। जिससे खतरा रहता है। स्कूलों परिसरों की हालत घास फूस के मैदान जैसी हो रही है। लेकिन सफाई कार्य नहीं कराया जाता।
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Shantanu Roy
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