राजस्थान
इच्छापूर्ति के लिए करें ये उपाय, आधा सावन बीतने के बाद भी ये दिन हैं खास
Gulabi Jagat
30 July 2022 5:15 AM GMT
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आधा सावन
जयपुर. सावन का कृष्ण पक्ष जा चुका है और शुक्ल पक्ष आरंभ हो चुका है. या यूं कहें आधा सावन बीत चुका है. ऐसे में अब सावन के बचे हुए दिनों में कुछ खास दिन ऐसे हैं, जब भगवान शिव की उपासना-आराधना कर लक्ष्मी, वैभव और राज प्राप्त कर सकते (Special days in Sawan 2022) हैं. हालांकि इन दिनों में भगवान आशुतोष की पूजा विधि-विधान के साथ करने पर ही ये फलदाई होंगे.
सावन का तीसरा सोमवार: शास्त्रों के अनुसार सोम यानी चंद्रमा को भगवान शिव ने अपने मस्तक पर धारण किया है. चंद्रमा के भगवान शिव के सिर पर विराजने से जुड़े दृष्टांत के अनुसार, देवताओं और असुरों का जब समुद्र मंथन हुआ, तब भगवान ने विष का पान किया. ऐसे में उनको कंठ में बहुत गर्मी लगने लगी. तब उन पर पानी भरकर डालने लगे. जब बहुत पानी डालने के बाद भी भगवान को शांति नहीं मिली, तब देवताओं ने भगवान को चंद्रमा को मस्तक पर धारण करने की सलाह दी. यही वजह है कि सोमवार को भगवान शिव का दिन मानते हुए, उसकी विशेष महत्ता होती है. सोमवार को दशा, महादशा, अंतर्दशा क्रूर होने के बाद भी उससे आपको नुकसान नहीं होगा. सोमवार का व्रत-पूजा विशेष मानी जाती है. ऐसा भी माना जाता है कि जो व्यक्ति पूरे साल पूजा व्रत नहीं कर सकता, वो यदि सावन के चार सोमवार व्रत-पूजा करता है, तो भी उसे फल प्राप्त होता है.
सावन के इन खास दिनों लक्ष्मी, वैभव और राज की इच्छापूर्ति के लिए करें ये उपाय...
सावन शुक्ल पक्ष पंचमी (नाग पंचमी): 2 अगस्त को नाग पंचमी (Nag Panchami 2022) है. जिन लोगों के राहु-केतु के मध्य शनि होने के बाद कालसर्प योग का निर्माण होता है. ऐसे लोगों को कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए नाग पंचमी पर विशेष पूजन करना चाहिए. इस दिन लोग व्रत कर भगवान शिव के प्रिय सांपों का पूजन कर विशेष आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं. सावन में प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है. भक्त भगवान आशुतोष की पूजा अर्चना कर उपवास रखकर पूजा आराधना कर उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं. प्रदोष को भगवान शिव के लिए भी महत्वपूर्ण बताया गया है. इस बार 9 अगस्त को प्रदोष का व्रत है.
श्रावणी पूर्णिमा : ये सावन का सबसे विशेष दिन है. इस दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा करने के लिए लोग गंगा और दूसरे सरोवरों में जाकर पानी में बैठकर पूजा करते हैं. इस दिन भगवान शिव की पूजा आराधना करने से घोर पापों से मुक्ति मिलती है. इस बार श्रावणी पूर्णिमा 11 और 12 अगस्त को बताई जा रही है. हालांकि सावन के बाद अगले 3 महीने भी भगवान शिव की पूजा आराधना करने के लिए श्रेष्ठ हैं. क्योंकि चातुर्मास में भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करते हैं. इस दौरान भगवान शिव ही पूरी सृष्टि को संभालते हैं. ऐसे में श्रावण के बाद भाद्रपद (भादो) आश्विन और कार्तिक भी भगवान शिव की पूजा आराधना के लिए विशेष होते हैं.
ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि भगवान शिव को कभी हल्दी और तुलसी ना चढ़ाएं. इसके अलावा केतकी के फूल और रोली भी नहीं चढ़ाई जाती है. इन सामग्रियों के साथ भगवान शिव की उपासना करना उल्टा भी पड़ सकता है. भगवान शिव को सफेद चंदन, बीलपत्र और धतूरा पसंद है. बीलपत्र में भी ॐ नमः शिवाय लिखकर के भगवान को अर्पित करें. वहीं लक्ष्मी की प्राप्ति चाहते हैं तो गन्ने का रस, शत्रु का नाश चाहते हैं, तो सरसों के तेल. राज में अगर सफलता चाहते हैं तो आम और अनार का रस अर्पित करें. सर्वाधिक लाभ लेते हुए सभी तरह से प्रसन्न रहना चाहते हैं तो दुग्धाभिषेक करें. अपार लक्ष्मी चाहते हैं तो शहद से अभिषेक करें. इसके अलावा पंचामृत अभिषेक भी लाभकारी बताया गया है.
Gulabi Jagat
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