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उदयपुर। उत्तरप्रदेश की श्यामली विधानसभा का विधायक बताकर सरकारी नौकरी दिलाने और फर्जी नियुक्ति पत्र देकर 11 लाख रुपए हड़पने के मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए एक आरोपी की ओर से पेश अग्रिम जमानत आवेदन को विशिष्ठ न्यायाधीश (judge) अजा/अजजा अनिप्र ज्योति के सोनी ने खारिज कर दिया. मामले में आरोपी की माता की जमानज अर्जी भी पूर्व में खारिज की जा चुकी है.
परिवादी राजकुमार थामेत निवासी नीमचमाता ने भूपालपुरा थाने में मामला दर्ज कराया था कि उसकी जेसी आचाचार्य और सेमुअल मैसी से पहचान थी. इन लोगों ने उससे कहा कि तुम्हारे दोनों की सरकारी नौकरी लग सकती है, लेकिन इसके लिए जयपुर (jaipur) चलना पड़ेगा. वह दोनों के साथ एक सितंबर 2022 को जयपुर (jaipur) गया, जहां एक व्यक्ति से संपर्क कराया, जिसने स्वयं को श्यामली का विधायक देवेंद्र राणा बताया. वहीं पर आरोपी गजेंद्र पुत्र अज्जु चौधरी निवासी श्यामली, यूपी भी था, जिसने स्वयं को श्यामली के विधायक राणा का छोटा भाई बताया. इस दौरान गजेंद्र ने उससे कहा कि उसके पिता सुरेश राणा उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) सरकार में गन्ना मंत्री है और ससुर सूर्यप्रताप शाही कृषि मंत्री है. इनकी केंद्र और राजस्थान (Rajasthan) सरकार में अच्छी पहचान है. इनके द्वारा ही सारी नौकरी दिलाने का कार्य किया जाना है.
आरोपियों ने उसे भारत सरकार के मुख्य सचिव के नाम का एक नियुक्ति पत्र दिनांक 24 अगस्त 2022 का दिखाया और कहा कि इसकी तारीख निकल चुकी है. 5 लाख 40 हजार रुपए और लाओ और दोनों पुत्रों की नौकरी का नियुक्ति पत्र ले जाओ. इसके बाद परिवादी ने तथाकथित विधायक देवेंद्र राणा को तीन लाख रुपए आॅनलाइन ट्रांसफर की. इसके बाद आरोपियों ने उसे 13 सितंबर को नया नियुक्ति पत्र लेने बकाया राशि के साथ जयपुर (jaipur) बुजलाया. शेष राशि देने के बाद राणा ने उसे दोनों पुत्रों के नाम नौकरी का दिनांक 12 सितंबर का नियुक्ति पत्र दे दिया. इस नियुक्ति पत्र को लेकर परिवादी अपने दोनों पुत्रों को लेकर पीडब्ल्यूडी कार्यालय गुलाबबाग पहुंचा, लेकिन अधिकारियों ने नियुक्ति पत्र को फर्जी बताकर नौकरी देने से इनकार कर दिया. इसके बाद परिवादी को स्वयं के साथ धोखाधड़ी का अहसास हुआ. जयपुर (jaipur) में पहली मुलाकात के दौरान तथाकथित विधायक के भाई गजेंद्र चौधरी ने परिवादी से एक लाख साठ हजार रुपए लिए थे.
इस मामले में गजेंद्र चौधरी की ओर से गिरफ्तारी से बचने के लिए न्यायालय में अग्रिम जमानत का प्रार्थना पत्र पेश किया गया, जिसका विशिष्ठ लोक अभियोजक बंशीलाल गवारिया ने विरोध किया और तर्क दिया कि आरोपियों ने संगठित गिरोह बना रखा है, जो नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों को फर्जी तरीके से फंसाकर उनसे रकम ऐंठ लेते है. आरोपी की माता राजेशदेवी के खाते में भी राशि ट्रांसफर की गई है. उसकी भी अग्रिम जमानत खारिज हो चुकी है. सीआरपीसी की धारा 41 का नोटिस जारी होने के बाद भी आरोपी अनुसंधान में उपस्थित नहीं हुआ है. दोनों पक्षों की बहस सुनने के उपरांत पीठासीन अधिकारी ने अग्रिम जमानत का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया.
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