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अजमेर। अजमेर जवाहरलाल नेहरू अस्पताल की आपातकालीन इकाई के बाहर एम्बुलेंस का दरवाजा नहीं खुलने व मरीज की मृत्यु हो जाने के मामले में राज्य मानव अधिकार आयोग के संज्ञान लेने के बाद कोतवाली थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस के अनुसार बोराडा ढिंगारिया निवासी गोपाल गुर्जर ने रिपोर्ट दी कि उसने मामा रामसर कुराड़ी निवासी प्रताप गुर्जर को 25 जून को आर. के. हॉस्पिटल में सुबह 10 बजे भर्ती कराया। उनके पेट में दर्द था। चिकित्सक ने जांच रिपोर्ट में अपेंडिक्स की नस फटना बताते हुए उपचार शुरू कर दिया।
उसी दिन दोपहर 3 बजे ऑपरेशन किया गया। इसके 3 घंटे बाद उनकी हालत गम्भीर होने लगी। देर रात जेएलएन अस्पताल के लिए रैफर कर दिया गया। चिकित्सक की ओर से बुलाई गई एम्बुलेंस में जेएलएन अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां 20 से 25 मिनट तक एम्बुलेंस का गेट नहीं खुला। बड़ी मशक्कत करने के बाद मरीज को दूसरे गेट से निकाला गया, तब तक उनकी मृत्यु हो चुकी थी। जेएलएन अस्पताल की आपातकालीन इकाई में चिकित्सक ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
पीड़ित ने बताया कि उन्होंने मरीज की आर. के. हॉस्पिटल की फाइल जेएलएन अस्पताल के चिकित्सकों को दी। उन्होंने फाइल वापस नहीं लौटाई। उसके मामा की मृत्यु होने पर वह शव लेकर घर रवाना हो गए। शिकायत पर पुलिस ने गैर इरादतन हत्या व मानव जीवन को संकट में डालने का मुकदमा दर्ज किया है। राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यास ने राजस्थान पत्रिका में 27 जून को द्मएंबुलेंस का गेट लॉक, अस्पताल के बाहर मरीज ने तोडा दमद्य शीर्षक से सचित्र समाचार प्रकाशित होने के बाद प्रकरण में स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया। व्यास ने एसपी, सीएमएचओ व जेएलएन अस्पताल के अधीक्षक को पत्र भेज प्रकरण की जांच कर तथ्यात्मक रिपोर्ट आयोग को 4 जुलाई तक पेश करने के आदेश दिए।
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