राजस्थान

तिरपाल लगाकर जलाते चिता चट्‌टानों के बीच भरे पानी से होकर श्मशान ले गए अर्थी

Kajal Dubey
2 Aug 2022 11:08 AM GMT
तिरपाल लगाकर जलाते चिता चट्‌टानों के बीच भरे पानी से होकर श्मशान ले गए अर्थी
x
पढ़े पूरी खबर
भीलवाड़ा, भीलवाड़ बारिश में दाह संस्कार और तिये की रस्में नहीं की जाती हैं। त्वचा में पानी भर जाने पर ही अंतिम संस्कार करना होता है। त्वचा में अधिक पानी होने पर अंतिम संस्कार की राख के साथ-साथ राख भी धुल जाती है। लक्ष्मीखेड़ा पंचायत में खल के पास मोक्षधाम होने से समस्या है. जिस गांव में जान गंवा चुके लोगों को मरने के बाद भी अंतिम संस्कार के लिए 2 गज जमीन नहीं मिल रही है. गांव के मोक्षधाम में कोई सुविधा नहीं है। बारिश में लोगों को अंतिम संस्कार के लिए त्वचा में भरे पानी से होकर गुजरना पड़ता है। नवगठित लक्ष्मीखेड़ा पंचायत में सुविधा युक्त मोक्षधाम नहीं है। आधा किलोमीटर दूर अंतिम संस्कार के लिए कच्ची पगडंडियों और चट्टानों से होते हुए चर्म पार जाना पड़ता है। बारिश में कच्ची पगडंडी पर कीचड़ जमा हो जाता है। चट्टानों के बीच पानी भर जाने से श्मशान घाट तक पहुंचना मुश्किल है। मोक्षधाम में छाया और पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। शव रखने के लिए प्लेटफार्म नहीं है।
मोक्षधाम के चारों ओर चारदीवारी नहीं होने के कारण मवेशी व जंगली जानवर घूमते रहते हैं। लोगों के बैठने की जगह नहीं है। अंतिम संस्कार और तिये की रस्म के दौरान यहां पानी की व्यवस्था करनी होती है। ग्रामीणों रामफुल धाकड़, तेजमल धाकड़, रामप्रसाद, देवी लाल, घीसीलाल, मांगिलालाल, मोतीलाल ने बताया कि लक्ष्मीपुरा की जनसंख्या 2000 से अधिक है. मोक्षधाम की सुध प्रशासन व ग्राम पंचायत की ओर से नहीं है. मोक्षधाम विकास पर अब तक एक रुपए का कोई सरकारी काम नहीं हुआ है। मोक्षधाम में टिनशेड भी नहीं है। बारिश में चिता पर तिरपाल लगाना पड़ता है।
Next Story