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करनाल :- करनाल के गांव खोरा खेड़ी में High Court द्वारा सुनाए गए एक फैसले की वजह से पूरे गांव में हड़कंप मच गया. मामला यह था कि प्रशासन ने कब्जा की हुई जमीन पर बुलडोजर चलाने के आदेश दिए थे, जिस जमीन को कोर्ट पंचायती जमीन बता रही है उसी जमीन को लेकर ग्रामीणो ने कहा कि यह जमीन कब्जे की नहीं है, इस जमीन पर मकान लगभग 60 से 70 साल पहले उनके पूर्वजों द्वारा बनाए गए थे. लेकिन हाईकोर्ट ने प्रशासन को इन सैकड़ों मकानों को ध्वस्त करने के आदेश दिए हैं.
मकानों खाली कराने के लिए घरो के बाहर लगाया Notice
खंड विकास एवं पंचायत अधिकारियों द्वारा करीब सैकड़ों ग्रामीणों के घर के बाहर मकान खाली करने और मलबा हटाने के Notice चिपकाए गए थे, जिस वजह से गांव वालों में तनाव का माहौल बना हुआ था, उन्हें डर था कि कहीं सरकार उनके आशियाने को ना उजाड़ दे. फिलहाल प्रशासन ने कब्जा कार्यवाही को रोक दिया है, और लोगों से सभी Document कोर्ट को दिखाने के लिए कहा गया है. प्रशासन के इस निर्णय के बाद ग्रामीणों ने चैन की सांस ली है.
22 सितंबर तक मकान खाली करने के लिए जारी किया था अल्टीमेटम
बता दे कि 22 September तक सैंकड़ो ग्रामीणों के मकानो को हटाने के लिए अल्टीमेटम जारी किया गया था. इस पर ग्रामीणों का कहना है कि यह जमीन पंचायती जमीन नहीं है, बल्कि इससे उनके दादा परदादा ने करीब 60- 70 साल पहले इस जमीन पर मकान बनाए थे. इसलिए बुधवार को आस- पास के गांव के लोगों ने आपस में मिलकर ऐलान किया कि हम अपने मकानों को नहीं तोड़ने देंगे, इसके लिए चाहे उन्हें कुछ भी करना पड़े.
ग्रामीणों ने की प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी
इसके बाद गुरुवार को सभी ग्रामीणों ने मिलकर सरकार व प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की. जिस वजह से सरकार ने सुबह ही गांव के मौजीज आदमियों की एक कमेटी Karnal बुलाई, और इस जमीनी संबंध में वार्तालाप की गई. गांव के पूर्व सरपंच रणजीत कश्यप ने बताया कि ग्रामीणों को उनके मकान खाली करने का Notice दे दिया गया था. जिस वजह से पूरे गांव में तनाव का माहौल बना हुआ था. फिलहाल प्रशासन ने कब्जा कार्यवाही को रोकने और ग्रामीणों को जमीनी दस्तावेज दिखाने की बात कही है.
Gulabi Jagat
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