x
राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय बीकानेर द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के तहत पशुधन जागृति अभियान में मांगरोल के गांव रायथल में जागरूकता एवं प्रजनन शिविर का आयोजन किया गया।
केंद्र सरकार के पशुपालन एवं डेयरी विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय द्वारा प्रायोजित शिविर में नोडल अधिकारी व स्नातकोत्तर पशु चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, जयपुर की अधिष्ठाता प्रो. शीला चौधरी ने मुख्य अतिथि सरपंच व प्रगतिशील पशुपालक महिलाओं का माल्यार्पण किया।
कार्यक्रम की शुरुआत में अधिष्ठाता, पीजीआईवीईआर जयपुर ने पशुपालन के विभिन्न चरणों पर बारीकियों से शिविर में आए पशुपालकों से विचार साझा किए तथा कृषि में मौसम के बदलाव से होने वाले नुकसान से बचने के लिए पशुपालन को बचाव उपाय अपनाने का आव्हान किया। प्रो. शीला चौधरी द्वारा पशुपालन के विभिन्न पायदानों के बारे में बताया, जिसमें उन्नत पशु स्वास्थ्य के लिए पशु को समय समय पर टीकाकरण व कृमिनाशी दवा देने को कहा गया। साथ ही पशु नस्ल सुधार की सलाह दी गई। अधिष्ठाता ने कहा कि पशु के शारीरिक विकास के लिए अच्छा पोषण जरूरी है तथा पशुपालक इससे दुग्ध उत्पादन में बढ़वार कर सकते है। अधिष्ठाता ने पशुपालकों को बताया कि गर्भित पशु को भी अच्छा पोषण जरूरी है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि संयुक्त निदेशक, पशु पालन विभाग डॉ. हरिवल्लभ मीना द्वारा पशुपालन विभाग की विभिन्न योजनाओं के बारे में पशुपालकों को बताया। साथ ही पशुओं में होने वाली बीमारियों के बचाव के लिए टीकाकरण करवाने की सलाह दी।
संयुक्त निदेशक ने पशुओं को स्वस्थ रखने के लिए स्वच्छ चारा, स्वच्छ पानी व स्वच्छ हवा उपलब्ध कराने की सलाह दी।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि भगवान महावीर निशुल्क पशु पक्षी चिकित्सालय के परियोजना निदेशक डॉ. चंद्रशेखर भटनागर ने चिकित्सालय द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न सेवाओं के बारे में पशुपालकों को विस्तार से बताया। डॉ. भटनागर ने पशुओं में बांझपन के विभिन्न कारण इनके निराकरण, बचाव व उपचार के बारे में पशुपालकों को विभिन्न तरीके सुझाए।
कार्यक्रम में उपनिदेशक पशुपालन विभाग डॉ. मदन मोहन परिहार ने रोग नियंत्रण में जनप्रतिनिधियों एवम पशुपालकों की भूमिका पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि एफपीओ से जुड़ कर किसान कृषि व पशुपालन से अच्छा मुनाफा ले सकते है।
जागरूकता शिविर में अन्य विषय विशेषज्ञ डॉ. विकास कुमार नागर ने पशुओं में विभिन्न संक्रामक बीमारियों तथा रोकथाम और उपचार के तरीके बताए।
शिविर में पशुओं का उपचार स्नातकोत्तर पशु चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान, जयपुर के सहायक आचार्य डॉ. मदनमोहन माली तथा सहायक आचार्य डॉ. चंद्रशेखर सारस्वत ने किया। शिविर में 263 पशुपालकों ने पंजीकरण करवाया तथा 100 से ज्यादा पशुओं का उपचार किया गया। शिविर में डॉ. अमरलाल नागर, डॉ. आरिफ अंसारी, पशुधन सहायक मुकेश कुमार नागर, चेतन कुमार, कुशेबा बानो, पशुधन परिचर कृष्णनंद मोरवाल, छोटे लाल सुमन ने सहयोग दिया।
Next Story