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अपने लोग गालियां देते हैं लेकिन विदेशी लोगों से सीखना चाहिए कि अगर प्यार से रहे तो हम सबका दिल जीत सकते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ जालंधर के बाजारों में जहां एक विदेशी ने रिक्शा चालक को पीछे बिठा खुद रिक्शा चलाई। रिक्शा चालक रतन लाल ने बताया कि बुधवार रात को वह जब अपनी रिक्शा लेकर बाजारों में घूम रहा था तभी एक विदेशी दंपति ने मुझे रोका और रिक्शा पर बैठ गए।जिसके बाद उनको लेकर मैं वहां से जब चला तो रास्ते में वह अपनी मातृभाषा अंग्रेजी में मुझे कुछ कह रहे थे लेकिन उनकी बात मेरे को समझ नहीं आई। जिस कारण मैंने एक दुकानदार के पास रोका और कहा कि इनकी भाषा मुझे समझ नहीं आ रही कि इनको कहां जाना है।जिसके बाद वह विदेशी नीचे उतरा और खुद रिक्शा चालक की सीट पर बैठ गया और मुझे पीछे बैठने को कहा लेकिन मैं पीछे नहीं बैठा वैसे पैदल चलना शुरू कर दिया। अभी कुछ ही कदम चला था फिर उस विदेशी ने मेरा हाथ पकड़ मुझे रिक्शा पर बिठा लिया। और नाज सिनेमा तक खुद रिक्शा चलाकर वहां पहुंचा और वहां पहुंच मुझे कुछ पैसे भी दिए। रतन लाल ने कहा कि आज के समय में रिक्शा का टायर भी किसी गाड़ी में लग जाए तो लोग गालियां निकालते हैं लेकिन इस विदेशी ने तो मुझे ही बिठा कर बाजारों में घुमाया और साथ में पैसे भी दिए।
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