न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
हरियाणा सिविल सर्विसेज सरकारी कर्मचारी आचार नियम, 2016 के रूल 24 के तहत हर साल समय पर प्रॉपर्टी रिटर्न भरना जरूरी है। यह बताना जरूरी है कि वाणिज्यिक, आवासीय, संस्थागत, खेती की जमीन कितनी है। इनसे कितनी आमदनी हो रही है।
हरियाणा में संपत्ति का ब्योरा नहीं देने वाले अधिकारी और कर्मचारी चार्जशीट होंगे। सरकार ने सख्ती बरतते हुए कार्रवाई का आदेश जारी किया है। एचसीएस, एचपीएस, डीआरओ, तहसीलदार, नायब तहसीलदार के अलावा विभागों, बोर्ड-निगमों के प्रथम से तृतीय श्रेणी तक के सैकड़ों अधिकारियों और कर्मचारियों ने दो साल व इससे अधिक समय से वार्षिक प्रॉपर्टी रिटर्न नहीं भरी है।
बार-बार समय सीमा बढ़ाने के बावजूद रिटर्न दाखिल न करने वालों पर सरकार ने कड़ी कार्रवाई का निर्णय लिया है। मुख्य सचिव कार्यालय के मानव संसाधन विभाग ने सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, मंडलायुक्तों, डीसी इत्यादि को सरकार के आदेशों का कड़ाई से पालन कराने का आदेश दिया है।
संपत्ति का ब्योरा न देने वालों को हरियाणा सिविल सर्विसेज सजा एवं अपील रूल्स, 2016 के रूल 7 और 8 के तहत चार्जशीट किया जाएगा। दो साल से रिटर्न न भरने वाले अधिकारी, कर्मचारी रूल-7 और दो साल से अधिक समय से संपत्ति का ब्योरा न देने वालों को रूल-8 के तहत चार्जशीट सौंपी जाएगी। आरोप पत्र का जवाब संतोषजनक न होने पर अधिकारियों-कर्मचारियों की नौकरी तक खतरे में पड़ सकती है।
रूल-7 के तहत नौकरी से बर्खास्तगी, वार्षिक वेतन वृद्धि पर रोक, भारी जुर्माना, पदोन्नति से पदान्नवति
रूल-8 के तहत वार्षिक वेतन वृद्धि रोकना, सामान्य जुर्माना, पदोन्नति पर रोक इत्यादि
वरिष्ठ एचसीएस तक शामिल
प्रॉपर्टी का ब्योरा न देने वालों में वरिष्ठ एचसीएस शामिल हैं। 2021-22 की रिटर्न तो 50 से अधिक एचसीएस अफसरों ने नहीं भरी है, इनमें आईएएस के बच्चे, पूर्व आईपीएस की पत्नी, एचसीएस पति-पत्नी इत्यादि हैं। इससे पहले के सालों में भी आयकर रिटर्न न भरने वाले अफसरों का आंकड़ा अच्छा-खासा है। प्रदेश के 22 जिलों में डीआरओ, 94 तहसीलदार-नायब तहसीलदार और 49 उप तहसीलों में नायब तहसीलदार तैनात हैं, इनमें से 80 फीसदी ने प्रॉपर्टी रिटर्न नहीं भरी है।
पूरी प्रॉपर्टी बताना जरूरी
हरियाणा सिविल सर्विसेज सरकारी कर्मचारी आचार नियम, 2016 के रूल 24 के तहत हर साल समय पर प्रॉपर्टी रिटर्न भरना जरूरी है। यह बताना जरूरी है कि वाणिज्यिक, आवासीय, संस्थागत, खेती की जमीन कितनी है। इनसे कितनी आमदनी हो रही है। कितने फ्लैट हैं, परिवार से कितनी जमीन या अन्य प्रॉपर्टी मिली है।
खुद कितनी खरीदी। प्रदेश में प्रथम से तृतीय श्रेणी के अनेक ऐसे अधिकारी हैं, जो वर्षों से सरकार को अपनी संपत्ति की जानकारी नहीं दे रहे। मुख्य सचिव कार्यालय की तरफ से 2018 से लगातार स्मरण पत्र भेजने के साथ समय अवधि बार-बार बढ़ाई गई लेकिन अधिकारियों-कर्मचारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी।