अमृतसर : सिख धर्म के चौथे गुरु श्री गुरु रामदास जी का आज प्रकाश पर्व बड़े ही धूम धाम से श्री हरमंदिर साहिब अमृतसर में मनाया गया। इस मौके पर श्री हरमंदिर साहिब अमृतसर में लाखों की संख्या से श्रद्धालु नतमस्तक हुए। इस अवसर पर शाम को श्री हरमंदिर साहिब में शानदार आतिशबाजी हुई और ड्रोन द्वारा संगत पर फूलों की वर्षा भी की गई।
बता दें कि श्री गुरु रामदास जी का प्रकाश (जन्म) कार्तिक वदी 2, विक्रमी संवत् 1591 (24 सितंबर सन् 1534) को पिता हरदास जी के घर माता दया जी की कोख से लाहौर (अब पाकिस्तान में) की चूना मंडी में हुआ था। श्री रामदासजी सिखों के चौथे गुरु थे। उनके जन्मदिवस को प्रकाश पर्व या गुरुपर्व भी कहा जाता है।
बाल्यकाल में गुरु साहिब को 'भाई जेठा जी' के नाम से बुलाया जाता था। छोटी उम्र में ही आपके माता-पिता का स्वर्गवास हो गए। इसके बाद बालक जेठा अपने नाना-नानी के पास बासरके गांव में आकर रहने लगे। कम उम्र में ही आपने जीविकोपार्जन प्रारंभ कर दिया था।
भाई जेठाजी (गुरु रामदास जी) को 1 सितंबर सन् 1574 ईस्वी में गोविंदवाल जिला अमृतसर में श्री गुरु अमरदास जी द्वारा गुरुगद्दी सौंपी गई। 16वीं शताब्दी में सिखों के चौथे गुरु रामदास जी ने एक तालाब के किनारे डेरा डाला जिसके पानी में अद्भुत शक्ति थी। इसी कारण इस शहर का नाम अमृत+सर (अमृत का सरोवर) पड़ा। गुरु रामदास जी के पुत्र (गुरु अर्जन देव जी) ने तालाब के मध्य एक मंदिर का निर्माण कराया, जो आज अमृतसर, स्वर्ण मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।