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पंजाब विधानसभा के तीसरे सत्र में सरकार के विश्वास प्रस्ताव के पक्ष और विपक्ष में पड़े वोटों की संख्या का पुनर्निर्धारण हो गया है। विधानसभा स्पीकर कुलतार सिंह संधवां ने शिअद के विधायक मनप्रीत सिंह अयाली और बसपा विधायक नछत्तर पाल की शिकायत को स्वीकार कर इन दोनों सदस्यों के वोट विश्वास प्रस्ताव के विरोध में गिन लिए हैं। इस तरह अब विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में कुल 91 वोट ही पड़े हैं।
गौरतलब है कि गत तीन अक्तूबर को विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान राज्य सरकार के विश्वास प्रस्ताव पर स्पीकर संधवां ने सदन में ध्वनिमत के साथ-साथ सदस्यों के हाथ उठवाकर पक्ष और विपक्ष में वोटों की गिनती कराई थी। इस दौरान सदन में ट्रेजरी बेंचों पर आम आदमी पार्टी के सभी 91 सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष में हाथ उठाए जबकि सदन में मौजूद विपक्षी सदस्य- शिअद के विधायक मनप्रीत सिंह अयाली और बसपा विधायक नछत्तर पाल ने हाथ नहीं उठाए लेकिन स्पीकर ने जब प्रस्ताव के विरुद्ध सदस्यों की गिनती करनी चाही तो उक्त दोनों विपक्षी सदस्यों ने उस समय भी हाथ खड़े नहीं किए। यानी उन्होंने प्रस्ताव का न तो समर्थन किया और न ही विरोध।
इस पर स्पीकर ने दोनों विपक्षी सदस्यों के वोटों को विश्वास प्रस्ताव के समर्थन में गिना और प्रस्ताव के पक्ष में कुल 93 वोट पड़ने का एलान किया। इसके बाद, दोनों विधायकों ने स्पीकर की लिखित शिकायत देते हुए कहा कि उन्होंने विश्वास प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया है और प्रस्ताव पर बहस के दौरान भी उन्होंने इसका विरोध किया था।
शिअद ने स्पीकर के फैसले का किया स्वागत
स्पीकर द्वारा रिकॉर्ड में संशोधन करने के फैसला का शिअद ने स्वागत किया है। पार्टी के सीनियर नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने स्पीकर का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसी नौबत आनी नहीं चाहिए थी। अब आम आदमी पार्टी सरकार का विश्वास मत 91 वोटों से पास हुआ माना जाएगा।
स्पीकर ने गलती सुधारी: बसपा
बसपा के प्रदेशाध्यक्ष जसवीर सिंह गढ़ी ने कहा है कि विधानसभा स्पीकर ने विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में बसपा और शिअद के वोट गिने जाने के मामले में गलती सुधार ली है। एक बयान में गढ़ी ने कहा कि इससे यह साबित हो गया है कि आप सरकार ने मतगणना को अपने पक्ष में करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि बहुजन समाज पार्टी पहले से ही इस प्रस्ताव का विरोध करती रही है। बसपा के विधायक नछत्तर पाल ने इस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया था। हालांकि स्पीकर ने बसपा विधायक और अकाली दल के विधायक के वोट को नजरअंदाज कर सरकार के पक्ष में घोषित कर दिया। गढ़ी ने कहा कि बसपा और अकाली दल के विरोध के बाद अब सरकार ने यह संशोधन कर अपनी गलती मान ली है।
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