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कानूनी तौर पर पंजाब सरकार की इस नई नीति पर विराम लग सकता है।
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार द्वारा 8736 कच्चे कर्मचारियों की नियुक्ति को लेकर जो नई नीति बनाई गई है उसमें सरकार की ओर से कोई बड़ी भूल नजर आ रही है या यह जानबूझ कर किया गया है. दरअसल पंजाब सरकार ने कर्मचारी, महिला, पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, सैनिक, विकलांग वर्ग को नियुक्त करने के लिए जो नई नीति बनाई है उसमें नि:शक्तजन वर्ग की अनदेखी की गई है. सरकार द्वारा यह चूक भारतीय संविधान का सीधा उल्लंघन है जो पिछड़े वर्गों को 25%, अनुसूचित जाति को 12%, महिलाओं को 33%, भूतपूर्व सैनिकों और दिव्यांग वर्गों, आर्थिक रूप से कमजोर, सामान्य वर्ग को 13% आरक्षण प्रदान करता है। यह अनिवार्य है लेकिन पॉलिसी में ऐसा कुछ नहीं किया गया है। जहां सरकार का कर्तव्य है कि वह सिविल सेवा नियमों के क्रियान्वयन का ध्यान रखे, वहीं आरक्षण का ध्यान रखना भी सरकार की जिम्मेदारी है। इतना ही नहीं कच्चे कर्मचारियों को स्थायी करने के लिए 'स्पेशल कैडर' भी तैयार किया जा रहा है। यहां बताना होगा कि कानूनी तौर पर पंजाब सरकार की इस नई नीति पर विराम लग सकता है।
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