पंजाब

जेल प्रशासन के खिलाफ कैदियों ने खोला मोर्चा, अधिकारियों पर लगाए ये आरोप

Shantanu Roy
2 Oct 2022 12:52 PM GMT
जेल प्रशासन के खिलाफ कैदियों ने खोला मोर्चा, अधिकारियों पर लगाए ये आरोप
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लुधियाना। जेल मंत्री हरजोत बैंस लगातार ही जेलों में सुधार व जेलों में बंद कैदियों को अच्छे नागरिक बनने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए ठोस कदम उठा रहे हैं। इसके लिए कैदियों को उनके हुनर मुताबिक कामों में लगाकर जेल में ही कमाई करने की बात हो या जेल के कैदियों द्वारा संचालित पैट्रोल पम्प का संचालन हो। मंत्री बैंस के इन कार्यों की हर तरफ प्रशंसा हो रही है लेकिन शायद जेल अधिकारियों को मंत्री के इन सुधार करने वाले फैसले से परेशानी हो रही है, क्योंकि जेल में जब भी मोबाइल फोन या नशे की चीज मिलती है तब कैदी पर केस दर्ज कर दिया जाता है, लेकिन कभी इस बात की गहनता से जांच नहीं की जाती की इतनी कड़ी सुरक्षा होने का दावा करने वाली जेल के भीतर फोन व अन्य नशीले पदार्थ बिना अधिकारियों व मुलाजिमों की मिलीभगत के तो पहुंच नहीं सकते, फिर बरामदगी होने पर जिम्मेवार उच्च अधिकारियों के खिलाफ कोई ठोस एक्शन क्यों नही लिया जाता।
जेल अधिकारियों द्वारा बंद कैदीयों को यातनाएं देने की पहले भी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। अब ताजा मामला लुधियाना की ताजपुर रोड स्थित सेंट्रल जेल का है, जहा अंदर से विभिन्न मामलो में बंद सजायाफ्ता व बंदी कैदी जेल अधिकारियों के बर्ताव से नाराज होकर भूख-हड़ताल पर बैठ गए हैं। पंजाब केसरी को सूत्रों से पता चला की जेल में बंद 8 कैदियों जिनमें वीरेंद्र सिंह पुत्र बनारसी दास, गगन विज पुत्र दिनेश विज, रणजीत सिंह पुत्र अवतार सिंह, राजन सिंह पुत्र तिलक राज, हरदीप सिंह पुत्र निर्मल सिंह, वीरेंद्र सिंह पुत्र गुरमेल सिंह, हरविंद्र सिंह पुत्र गुरमेल सिंह, सुनील कालड़ा पुत्र सुदर्शन सिंह व उनके साथ अन्य कई कैदी हैं, जो पिछले 2 दिनों से लगातार भूख हड़ताल पर हैं। मंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने जेलर पर आरोप लगाया की उनको न तो जेल कैंटीन से कुछ लेने की अनुमति है और न नियमों के मुताबिक कुछ खाने या बनाने की आजादी है। उक्त कैदियों ने जेल अधिकारी शिवराज सिंह आनद गढ़ और अहाता इंचार्ज सुखदेव सिंह पर मारपीट करने तथा विरोध करने पर जब्री चालान करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें आत्महत्या के लिए मानसिक तौर पर परेशान किया जा रहा है। इसीलिए हमे मजबूर होकर भूख हड़ताल करनी पड़ी।
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