पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि मोदी एंड कंपनी देश में लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है। उन्होंने कहा कि अगर देश को प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और उनके 28 राज्यपालों को ही चलाना है तो चुनाव कराने पर पैसा क्यों बर्बाद किया जाए। यह लोकतंत्र में एक खतरनाक प्रवृत्ति है, जिसे तुरंत रोकने की जरूरत है।
राज्यसभा सदस्य संजय सिंह के निलंबन के खिलाफ विपक्षी सांसदों के प्रदर्शन में शामिल हुए मुख्यमंत्री मान ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सत्तारूढ़ गठबंधन ने सांसदों को सार्वजनिक चिंता के मुद्दे उठाने की अनुमति नहीं दी। मणिपुर की शर्मनाक घटना भाजपा की विभाजनकारी और नफरत फैलाने की नीति का नतीजा है। यह देश और जनता के हित में नहीं है क्योंकि इसके बुरे परिणाम सामने आएंगे।
मणिपुर में कानून व्यवस्था खराब होने के चलते तत्काल राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। राज्यपाल मणिपुर में तब क्या कर रहे थे, जब कानून-व्यवस्था पूरी तरह खराब हो गई थी। उन्होंने कहा कि गैर-भाजपा शासित राज्यों के राज्यपाल, राज्यों के रोजमर्रा के मामलों में अनावश्यक हस्तक्षेप कर रहे हैं और चुनी हुई सरकारों को काम नहीं करने दे रहे हैं। इसके विपरीत, मणिपुर के राज्यपाल वहां हो रही जघन्य घटनाएं सिर्फ मूक दर्शक बनकर देख रहे हैं।
मुर्मू से अपील- मणिपुर में लगाएं राष्ट्रपति शासन
मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मणिपुर में हो रही दुर्भाग्यपूर्ण और जघन्य घटनाओं का संज्ञान लेने और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब मणिपुर जल रहा था, तब देश के प्रधानमंत्री दूसरे देशों की यात्रा का आनंद ले रहे थे। भगवंत मान ने कहा कि यह इस संकट से निपटने के प्रति मोदी सरकार की असंवेदनशीलता को दर्शाता है।