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अमृतसर। हिन्दू नेता सुधीर कुमार सूरी हत्याकांड में बेशक अभी तक पुलिस की जांच पूरी नहीं हुई है और यह पता नहीं चल पाया है कि सूरी की हत्या करने वाले संदीप सिंह सन्नी ने किसके कहने या किसके इशारे पर सूरी की हत्या की है, लेकिन केन्द्रीय व स्टेट सुरक्षा एजैंसियों की पहले से ही इनपुट आ चुकी है कि पाकिस्तानी एजैंसियां माहौल खराब करने का प्रयास कर रही है। बी.एस.एफ., एस.एस.ओ.सी., सी.आई. व एस.टी.एफ. सहित अन्य एजैंसियों की तरफ से पकड़े गए हैरोइन व हथियारों के केसों से यह पता चल चुका है कि पाकिस्तानी एजैंसियां ड्रगस व अत्याधुनिक हथियारों की सप्लाई के साथ साथ उन देशद्रोही ताकतों को फंडिंग भी कर रही हैं जो आम जनता को एक धर्म से दूसरे धर्म के खिलाफ भड़काने का काम कर रहे हैं। सूरी हत्याकांड के बाद लगातार दो दिनों तक माहौल तनावपूर्ण बना रहा, लेकिन पुलिस व प्रशासन के बढि़या प्रबंधों के चलते हालात बिगड़ने से बच गए और कोई ऐसी हिंसक घटना नहीं घटी जिससे कोई बड़ा नुक्सान होता।
सोशल मीडिया पर भड़काने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं
पिछले चार पांच वर्षों से सोशल मीडिया पर कुछ खास लोग आम जनता को भड़काने वाले पोस्ट डाल रहे हैं और लोगों को आपस में लड़ाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन ऐसे लोगों के खिलाफ सुरक्षा एजैंसियों की तरफ से कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है। विदेशों के कंट्रोल में चल रहे कुछ सोशल मीडिया एैपस पर केन्द्र सरकार भी प्रतिबंध लगा चुकी है और जो अन्य ऐप्स बचे हैं उन पर भी लगाम लगाने की तैयारी हो चुकी है लेकिन जिस रफ्तार के साथ इन एैप्स पर शिकंजा कसने की जरुरत है उतनी रफ्तार नहीं पकड़ी जा रही है।
स्टेट्स सिंबल बन चुके हैं सुरक्षाकर्मी
वी.वी.आई.पी., वी.आई.पी. या कुछ अन्य खास लोगों को सरकार की तरफ से सुरक्षाकर्मी प्रदान किए जाते हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में हुई घटनाओं से यह साबित हो रहा है कि वी.आई.पी. सुरक्षा सिर्फ स्टेटस सिंबल बनकर रह गई है। सुधीर सूरी हत्याकांड में भी 22 से ज्यादा सुरक्षाकर्मियों व अन्य पुलिस अधिकारियों ने सुधीर सूरी की हत्या करने वाले सन्नी पर जवाबी हमला नहीं किया, यहां तक कि सूरी समर्थकों को अपने बचाव में फायर करने पड़े जो सुरक्षाकर्मियों की भूमिका पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है।
जेलों से चलने वाला नैटवर्क भी तोड़ने में नाकाम एजैंसियां
पाकिस्तान व अन्य देशों में बैठे आतंकवादियों व गैंगस्टरों को पकड़ना तो दूर की बात उल्टा अपने ही जिले की जेल व अन्य जेलों में कैद देशद्रोही तत्वों के मोबाइल नैटवर्क को तोड़ने में सुरक्षा एजैंसियां नाकाम साबित नजर आ रही हैं। कभी जेल में मैडिकल अफसर हैरोइन की सप्लाई करते पकड़ा जा रहा है तो वहीं आए दिन जेलों के अन्दर से मोबाइल फोन, सिगरेट व अन्य प्रतिबंधित सामान कैदियों से मिल रहा है।
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