पंजाब
लंपी वायरस की चपेट में 10 लाख से ज्यादा मवेशी, हजारों की मौत
Ritisha Jaiswal
18 Aug 2022 11:17 AM GMT
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लंपी वायरस (Lumpy Virus) का खतरा धीरे-धीरे पूरे देश के मवेशियों पर बढ़ता जा रहा है.
लंपी वायरस (Lumpy Virus) का खतरा धीरे-धीरे पूरे देश के मवेशियों पर बढ़ता जा रहा है. अब तक करीब 10 लाख मवेशी इस जानलेवा बीमारी की चपेट में आ चुके हैं. सबसे ज्यादा दूध उत्पादन करने वाले राज्यों गुजरात और राजस्थान में इसका खतरा भी सबसे अधिक है. मवेशियों खासतौर पर गाय और भैंस में यह बीमारी स्किन डिजीज की तरह फैलती है और धीरे-धीरे उनकी सांस नली को संक्रमित कर देती है, जिससे बाद में उनकी मौत भी हो जाती है.
सिर्फ गुजरात के ही 33 में से 15 जिलों में इस वायरस का प्रकोप फैल चुका है और अब तक 50 हजार से ज्यादा मवेशी इसकी चपेट में आ चुके हैं, जिसमें से 2,000 मवेशियों की अब तक मौत भी हो चुकी है. अभी तक वर्ल्ड एनिमल हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने इसे महामारी घोषित नहीं किया है, जिस तरह से पश्चिम से पूरब तक फैल रहा, ये भारत में महामारी का रूप ले चुका है. देशभर से जुटाए आंकड़ों को देखा जाए तो अब तक करीब 10 लाख मवेशी इसकी चपेट में आ चुके हैं, जबकि 50 हजार से ज्यादा की मौत हो चुकी है.
राजस्थान की स्थिति सबसे ज्यादा विकराल है, जहां अब तक करीब पांच लाख जानवर इसकी चपेट में आ चुके हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 15 अगस्त के मौके पर बताया था कि आधिकरिक आंकड़ों के अनुसार, राज्य के 15 जिलों में अब तक 4,24,188 जानवर इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं, जिसमें से 18,462 की मौत भी हो चुकी है. मक्खियों और मच्छरों के जरिये फैलने वाली इस बीमारी को रोकने के लिए सभी जिला कलेक्टरों को आदेश जारी किया गया है. राज्य में जल्द ही टीकाकरण के लिए गाइडलाइन भी जारी की जा सकती है.
इसके अलावा पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, असम, हरियाणा जैसे राज्यों में भी हजारों मवेशियों की मौत हो चुकी है. केंद्र सरकार ने पिछले दिनों इस वायरस से निपटने के लिए टीका भी जारी किया और इस मौके पर कृषि मंत्री ने कहा कि देश के 30 करोड़ मवेशियों का टीकाकरण करना एक चुनौती है, लेकिन इसे पूरा किया जाएगा. यह वायरस इतना खतरनाक है कि इसकी मृत्यु दर बढ़कर 15 फीसदी तक पहुंच सकती है.
पंजाब और पूर्वोत्तर की खराब हो रही हालत
पंजाब में लंपी वायरस का पहला मामला 4 जुलाई को सामने आया था, जिसके बाद से अब तक 60 हजार से ज्यादा मवेशी इसकी चपेट में आ चुके हैं. इसमें से 2,500 की मौत भी हो चुकी है. ये ऑफिशियल आंकड़े हैं जबकि सच्चाई इससे कहीं ज्यादा भयावह हो सकती है. दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में भी अब तक 5 हजार से ज्यादा मवेशियों को इस वायरस ने चपेट में ले लिया है. असम में भी इसका कहर बढ़ता जा रहा है. इस पूवोत्तर राज्य में साल 2020 से ही लंपी वायरस का खतरा है, जिसकी वजह से दूध उत्पादन 20 फीसदी तक गिर गया था.
अमूल को सता रही चिंता
अमूल ब्रांड से देशभर में दूध बेचने वाली सबसे बड़ी सहकारी समिति गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन को अब उत्पादन में कमी की चिंता सताने लगी है. यह फर्म रोजाना करीब 2 करोड़ लीटर दूध खरीदती है, जिसमें 42 फीसदी हिस्सेदारी गाय के दूध की रहती है. फिलहाल फर्म को हर दिन करीब एक लाख लीटर दूध का नुकसान लंपी वायरस की वजह से हो रहा है. इसकी चपेट में सबसे ज्यादा गोवंश आते हैं, जिससे अमूल की चिंता और बढ़ रही है.
समिति के प्रबंध निदेशक आरएस सोढ़ी ने कहा, वैसे तो अभी ज्यादा चिंता की बात नहीं है, क्योंकि उत्पादन में सिर्फ 1 फीसदी तक गिरावट देखी जा रही, लेकिन अगर महामारी पर जल्द ही काबू नहीं पाया गया तो स्थितियां विकराल हो सकती हैं. इस वायरस से प्रभावित होने पर दुधारू मवेशियों का उत्पादन 70 फीसदी तक घट जाता है. ऐसे जाहिर है कि इसका असर सीधे तौर पर दूध उत्पादन पर होगा और दूध का उत्पादन भी करीब 10-20 फीसदी तक घट सकता है. पंजाब में करीब 6 हजार डेयरी फर्म हैं, जिनसे अभी रोजाना लगभग 15 लाख लीटर कम दूध का उत्पादन हो रहा है.
तो क्या बढ़ सकते हैं दूध के दाम
इंडियन डेयरी एसोसिएशन के सदस्य रामचंद्र चौधरी ने कहा बताया कि जिस तरह लंपी वायरस का खतरा पूर्व से पश्चिमी तक और उत्तर से दक्षिण तक सभी राज्यों में फैल रहा है, यह जल्द ही महामारी बन जाएगा. दूध के उत्पादन में अभी से लाखों लीटर की गिरावट दिखने लगी है, जो आने वाले समय में और बढ़ेगी. इससे दोनों तरह की स्थितियां पैदा हो सकती हैं. एक तो दूध की कमी से इसकी आपूर्ति प्रभावित होगी और दाम बढ़ जाएंगे. दूसरा कि लोग वायरस के डर से दूध की खपत घटा देंगे. हालांकि, अगर दूध को 100 डिग्री सेंटिग्रेड पर उबालकर इस्तेमाल किया जाए, तो वायरस का खतरा नहीं रहता है
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