पंजाब

नहीं माने और चंद मिनटों में झील में समा गए दोस्त, समझाते रहे गहरा है पानी मत नहाओ

Admin4
2 Aug 2022 10:07 AM GMT
नहीं माने और चंद मिनटों में झील में समा गए दोस्त,  समझाते रहे गहरा है पानी मत नहाओ
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न्यूज़क्रेडिट; अमरउजाला

हम समझाते रहे कि मत नहाओ, पानी गहरा है, लेकिन सात साथी नहीं माने और चंद मिनटों में पानी में समा गए। अब हमसे बिछुड़ गए। हिमाचल प्रदेश के ऊना में गोबिंदसागर झील में हुए दिल दिहला देने वाले मंजर की प्रत्यक्षदर्शी साथी युवा सोनू और कृष्ण लाल ने दर्दनाक दास्तां बयां की। अपने साथियों को खोने के बाद गमगीन सोनू और कृष्ण ने बताया कि झील किनारे पहुंचने के बाद गर्मी का अहसास हो रहा था। कुछ का नहाने का मन कर गया।

पहली बार गोबिंदसागर झील किनारे पहुंचे थे। सभी झील की गहराई और वास्तविकता से अनजान थे। अचानक ही विशाल कुमार ने कपड़े खोले और झील में उतर गया। इसे देखकर पवन कुमार, रमन कुमार, लाभ सिंह, लखवीर सिंह, अरुण कुमार और शिवा कुमार भी नहाने चल गए। कुछ देर में विशाल डूबने लगा। उसे बचाने के लिए सभी चेन बनाकर गहराई की ओर बढ़े। सभी डूबने लगे। इसे देखकर झील किनारे बैठे साथी गुरप्रीत और रमन ने चीख पुकार मचाई। इस पर मौके पर पहुंचे कृष्ण लाल और सोनू ने अपने साथियों को देखा। तब तक केवल सभी के हाथ ही दिख रहे थे। आखिरी दम तक पानी के भीतर मदद के लिए हाथ ऊपर उठाते रहे। मौत के जंग के इस मंजर को देखकर कृष्ण लाल खुद को नहीं रोक पाए और बचाने के लिए झील में छलांग लगा दी। वह भी डूबने लगा, जिसे बाहर खड़े सोनू ने होशियारी से बचा लिया। सोनू का कहना कि साथी झील में नहाने की जिद पर अड़ गए और उनसे जुदा हो गए। आंखों के सामने उनकी कोई मदद नहीं कर पाए। इसका उन्हें हमेशा मलाल रहेगा।

दियोटसिद्ध और नयना देवी माथा टेकने जा रहे थे सभी

सभी 11 दोस्त धार्मिक स्थलों में शीश नवाने के इरादे से हिमाचल आए थे। ऊना के पीरनिगाह में दर्शन के बाद युवाओं ने दियोटसिद्ध जाना था। इसके बाद श्री नयनादेवी जी रवाना होना था, लेकिन रास्ते में ही हुए हादसे ने सबको झकझोर दिया है।

गोबिंदसागर झील में हर कदम पर खतरा रहता है। झील में एक कदम पर कुछ फीट पानी तो अगले ही कदम पर पानी 100 फीट गहरा होता है। ऊंची ढलानें होने के कारण ऐसा होता है, लेकिन अनजान पर्यटक इससे बेखबर होते हैं और नहाने उतर जाते हैं।

शव बरामद होने के बाद झील में सन्नाटा पसरना शुरू हो गया। दोस्तों ने ही अपने मृतक यारों का सारा सामान एकत्रित किया और साथ ले गए। सामान बटोरते दोस्त अपने आंसू नहीं रोक पाए। सामान को देखकर साथी अपने दोस्तों को याद करते रहे।

इस बड़े हादसे के बाद भी पर्यटक झील किनारे पहुंचते रहे। सेल्फी लेती बार भी यहां हादसे का खतरा रहता था। जरा सा भी पांव खिसकने पर सीधे झील के किनारे गिरकर डूबने से मौत की आशंका रहती है। लापरवाही बरतना गोबिंदसागर झील किनारे मौत को बुलाने समान है।

स्थानीय ग्रामीणों की मानें पर्यटकों को झील में नहाने के लिए उतरने और झील से दूर रहने की सलाह देने पर वह उलझ पड़ते हैं। पर्यटकों के कड़े रूख से ग्रामीण भी अब दूर ही रहते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस गश्त से ही इस तरह के हादसे रोके जा सकते हैं।

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