पंजाब

पालीटिकल प्रैशर के चलते कार्पोरेशन लाइसेंसधारी शराब ठेकेदार के साथ कर रहा है धक्केशाही

Shantanu Roy
9 May 2023 6:11 PM GMT
पालीटिकल प्रैशर के चलते कार्पोरेशन लाइसेंसधारी शराब ठेकेदार के साथ कर रहा है धक्केशाही
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बड़ी खबर
लुधियाना। बिना किसी कारण और बिना किसी नोटिस कार्पोरेशन द्वारा दुकान सील कर लाइसेंसधारी ठेकेदार के साथ धक्केशाही की जा रही है। इससे एक बात तो साफ़ है कि कार्पोरेशन के सामने एक आम आदमी की कोई कीमत नहीं। यह उक्त शब्द रॉयल पंजाब ग्रुप के ठेकेदारों द्वारा कहे गए। रॉयल पंजाब का हंबड़ा रोड नजदीक हैबोवाल चौक स्थित शराब के ठेके का मसले में ग्रुप के पार्टनर आगे आए और उनके साथ हो रही धक्केशाही पर रोष व्यक्त करते हुए कहा कि 5 साल से चल रहे शराब के ठेके को अचानक कॉपोरेशन द्वारा तंग किया जा रहा है। उन्होंने आगे बताया कि 3 मई को पहले कार्पोरेशन द्वारा ठेकेदारों को नोटिस भेज कुछ दस्तावेजों की मांग की गई और इस नोटिस का जवाब देने के लिए 3 दिन का समय भी दिया गया। नोटिस में कारपोरेशन ने ठेकेदारों से एक्साइज द्वारा पास नक़्शे की कॉपी और प्रॉपर्टी दस्तावेज़ जमा करवाने के लिए कहा। ठेकेदारों ने आगे बताया कि एक ही दिन नोटिस भेजा गया और उसी दिन ही दुकान को सील करने के लिए कारपोरेशन अधिकारी पहुंच गए, जबकि नोटिस में लिखा गया था कि नोटिस का जवाब 3 दिन के भीतर देना था। जिसके बाद ठेकेदारों की अधिकारियों के साथ कहासुनी हुई और ठेका सील नहीं करने दिया। ठेकेदारों ने बताया कि कारपोरेशन को एक्साइज विभाग से पास नक़्शा व जब से दुकान है, 1971 से रसीद भी जमा करवा दी गई। उन्होंने बताया कि शुक्रवार तक नोटिस में मांगे गए सारे दस्तावेज़ जमा करवा दिए गए थे। जिसके बाद कारपोरेशन अधिकारियों द्वारा बिना किसी भी जानकारी और नोटिस दिए दोबारा सोमवार को ठेका सील कर दिया। ठेकेदारों द्वारा अधिकारियों से बार-बार पूछने पर कि ऑर्डर मांगने पर मौके पर मौजूद अधिकारियों ने कहा कि ठेका सील करने को लेकर उन पर पॉलिटिकल प्रेशर है, जिसके बाद ठेकेदार कई बार कारपोरेशन दफ़्तर भी गए। ठेकेदारों ने कहा कि कारपोरेशन अधिकारियों को पूछा गया कि यदि किसी भी प्रकार के दस्तावेज की जरूरत है या किसी भी तरह की डिमांड है, तो बताए ठेकेदार जमा करवाने के लिए तैयार है। परन्तु अधिकारियों ने अफसरशाही के गरूर में ठेकेदारों जवाब देना जरूरी नहीं समझा और आनाकानी करने लग गए। जिसके बाद ठेकेदारों ने हार कर हाई कोर्ट का रुख किया और रिट डाल दी।
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