पंजाब

खुलेंगे मिशन मंगल के दरवाजा! इंसानों की चांद यात्रा की 'फुल ड्रेस रिहर्सल'

Gulabi Jagat
28 Aug 2022 8:29 AM GMT
खुलेंगे मिशन मंगल के दरवाजा! इंसानों की चांद यात्रा की फुल ड्रेस रिहर्सल
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वॉशिंगटन : अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा लगभग 50 साल बाद इंसानों को दोबारा चंद्रमा पर भेजने के लिए तैयार है। खास बात यह कि इस बार क्रू में एक महिला अंतरिक्ष यात्री भी शामिल होगी जो चंद्रमा पर कदम रखने वाली पहली महिला बनेगी। सोमवार को इस दिशा में पहला कदम उठाया जाएगा। नासा ने इस मिशन को आर्टेमिस नाम दिया है जिसका पहला हिस्सा 29 अगस्त को रवाना किया जाएगा। आर्टेमिस 1 एजेंसी के नए स्पेस लॉन्च सिस्टम मेगारॉकेट और ऑरियन क्रू कैप्सूल की पहली टेस्ट फ्लाइट होगी। एसएलएस रॉकेट करीब 42 दिनों के मिशन पर बिना चालक दल वाले ऑरियन स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च करेगा। मिशन के दौरान पृथ्वी पर लौटने से पहले यह चंद्रमा की परिक्रमा करेगा। आर्टेमिस 1 को 29 अगस्त को भारतीय समयानुसार शाम 6:03 बजे लॉन्च किया जाएगा। यह स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा तक जाएगा, कुछ छोटे उपग्रहों को कक्षा में छोड़ेगा और खुद कक्षा में स्थापित हो जाएगा। इस मिशन के तहत नासा स्पेसक्राफ्ट को ऑपरेट करने की ट्रेनिंग हासिल करेगी, चंद्रमा के आसपास हालात की जांच करेगी जिसका अनुभव अंतरिक्ष यात्रियों करेंगे और अंतरिक्ष यात्रियों की पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी को सुनिश्चित करेगी।
कोलोराडो बोल्ड विश्वविद्यालय में प्रोफसर और अंतरिक्ष वैज्ञानिक एवं नासा के प्रेसिडेंशियल ट्रांजिसन टीम के पूर्व सदस्य जैक बर्नस ने आर्टेमिस-1 मिशन के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि यह स्पेस लॉन्च सिस्टम की पहली उड़ान होगी। नासा के मुताबिक यह 'हेवी लिफ्ट' रॉकेट है जिसमें अब तक स्पेस में भेजे जाने वाले रॉकेट की तुलना में अधिक शक्तिशाली इंजन लगे हुए हैं। यह रॉकेट 1960 और 1970 के दशक में इंसानों को चंद्रमा पर पहुंचाने वाले अपोलो मिशन के रॉकेट से भी ज्यादा शक्तिशाली है। यह बिल्कुल नए तरह का रॉकेट सिस्टम है क्योंकि इसका मुख्य इंजन ऑक्सीजन और हाइड्रोजन सिस्टम का सम्मिश्रण है और इसमें दो रॉकेट बूस्टर भी लगे हुए हैं। आर्टेमिस-1 मिशन बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे वैज्ञानिकों को ऑरियन क्रू कैप्सूल की क्षमता देखने को मिलेगी। चंद्रमा के अंतरिक्ष वातावरण में करीब एक महीने, जहां विकिरण का उच्च स्तर होता है, इस कैप्सूल की असली परीक्षा होगी।
आर्टेमिस स्पेसक्राफ्ट की 'फुल ड्रेस रिहर्सल'
कैप्सूल से हीट शील्ड की भी क्षमता का पता चलेगा जो 25 हजार मील प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी पर लौटते समय घर्षण से उत्पन्न होन वाली गर्मी से कैप्सूल और उसमें मौजूद लोगों को बचाता है। अपोलो के बाद यह सबसे तेज गति से यात्रा करने वाला कैप्सूल होगा, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि ऊष्मा रोधी कवच यानी हीट शील्ड ठीक से काम करे। यह मिशन अपने साथ कई छोटे उपग्रह भी ले जाएगा ये सैटेलाइट हमेशा अंधेरे में रहने वाले चंद्रमा के गड्ढों (क्रेटर) पर नजर रखेंगे जिनके बारे में वैज्ञानिकों का मानना है कि उनमें पानी है। आसान शब्दों में कहें तो यह मिशन नासा के महत्वाकांक्षी मिशन आर्टेमिस स्पेसक्राफ्ट की 'फुल ड्रेस रिहर्सल' है जिसके तहत इंसानों को चंद्रमा पर भेजा जाएगा। एक बड़ा सवाल जो सभी के मन में आ रहा है कि यह मिशन 50 साल पुराने अपोलो से कैसे अलग है और अब हमारे सामने क्या चुनौतियां हैं?
अपोलो से कितना अलग है आर्टेमिस?
जाहिर है कि अपोलो मिशन 'अंतरिक्ष की खोज' से ज्यादा सोवियत संघ को मात देने के लिए अस्तित्व में आया था। आर्टेमिस के विपरीत अपोलो का मकसद चंद्रमा पर पानी की खोज या स्थायी बेस के लिए जांच करना नहीं था। बल्कि मिशन सिर्फ अमेरिका को स्पेस की रेस में अव्वल लाने के लिए लॉन्च किया गया था। लेकिन 50 साल बाद अब चीजें काफी बदल चुकी हैं। अब वैज्ञानिकों के उद्देश्य अलग हैं इसीलिए उनकी चुनौतियां भी अलग हैं। अब अमेरिका रूस या चीन को पीछे छोड़ने के लिए नहीं बल्कि पृथ्वी के बाहर स्थायी रिसर्च शुरू करने के लिए एक बेस बनाना चाहता है। यह बेस एक दूरगामी मिशन के लिए दरवाजे खोल सकता है जिसके तहत एक दिन इंसान मंगल ग्रह पर भी कदम रख सकता है।
नासा की ऑफिशियल वेबसाइट पर देखें लॉन्च
आर्टेमिस-3 के जरिए इंसान चंद्रमा पर जाएंगे। इस चालक दल में एक महिला और संभवतः एक अश्वेत यात्री भी हो सकता है। फिलहाल आर्टेमिस-1 के लॉन्च की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है जो फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से रवाना होगा। नासा की ऑफिशियल वेबसाइट पर इस लॉन्च का सीधा प्रसारण देखा जा सकता है। एक्सप्लोरेशन सिस्टम डेवलपमेंट के लिए नासा के एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर जिम फ्री ने 22 अगस्त को एक न्यूज कॉन्फ्रेंस में कहा था, 'यह एक नए रॉकेट और एक नए अंतरिक्ष यान की पहली उड़ान है। टेस्ट फ्लाइट में कुछ जोखिम अंतर्निहित होते हैं।'
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