न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
उद्योग के बाद बिजली खपत का दूसरा सबसे बड़ा कारण निर्माण कार्य है। वर्ष 2030 तक यह सबसे बड़ा ऊर्जा खपत वाला क्षेत्र बन सकता है इसलिए ईसीबीसी को जल्द लागू करना एक बहुत बड़ा मुद्दा है।
केंद्र सरकार ने भवन निर्माण के क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2007 में ऊर्जा संरक्षण भवन कोड (ईसीबीसी) बनाया था। करीब 15 साल बाद भी इसे प्रशासन शहर में लागू नहीं कर सका है जबकि पड़ोसी राज्यों समेत देश के लगभग हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ने इसे अपना लिया है और हर वर्ष करीब 30 फीसदी तक बिजली की बचत कर रहे हैं।
नए व्यावसायिक इमारतों में ऊर्जा दक्षता में सुधार के लिए बनाए गए ईसीबीसी को 2017 में अपडेट किया गया और अनिवार्य रूप से लागू करने के निर्देश दिए गए लेकिन शहर में इसे लागू करने के लिए केवल चर्चाओं का दौर ही चल रहा है। बीते 17 जून को सेक्टर-26 स्थित महात्मा गांधी राज्य लोक प्रशासन संस्थान में विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने बैठक की थी।
बताया गया था कि ईसीबीसी का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है, जिस पर चर्चा चल रही है। एक उच्च स्तरीय समिति का गठन भी किया जाना था जो ईसीबीसी की अधिसूचना और कार्यान्वयन के कार्य की निगरानी करेगी। इस बैठक को करीब डेढ़ महीने बीत चुके हैं लेकिन नतीजा शून्य है। बता दें कि उद्योग के बाद बिजली खपत का दूसरा सबसे बड़ा कारण निर्माण कार्य है। वर्ष 2030 तक यह सबसे बड़ा ऊर्जा खपत वाला क्षेत्र बन सकता है इसलिए ईसीबीसी को जल्द लागू करना एक बहुत बड़ा मुद्दा है।
सौर ऊर्जा को बढ़ावा लेकिन बिजली बचत पर ध्यान नहीं
शहर में सौर ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है लेकिन बिजली बचत पर प्रशासन का ध्यान नहीं है। चंडीगढ़ में इस समय करीब 45 मेगावाट बिजली की उत्पादन सौर ऊर्जा से किया जा रहा है और अब 2023 तक 75 मेगावाट का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। दूसरी तरफ, ऊर्जा संरक्षण भवन कोड को लागू नहीं करके प्रशासन हर वर्ष 20-30 फीसदी बिजली बर्बाद कर रहा है। कोड के लागू होने के बाद शहर में बनने वाले सभी 100 किलोवाट से अधिक भार वाले नए व्यावसायिक भवनों में इसका पालन करना होगा। इसके तहत कई नियमों होंगे, जिसमें सोलर सिस्टम अनिवार्य रूप से लगाना। खिड़की की साइज, कॉरिडोर में सेंसर समेत आदि कई बदलाव करने होंगे।
15-20 फीसदी बिजली की बचत होगी: सुरिंदर बाहगा
ईसीबीसी को लागू कराने के लिए प्रशासन के साथ काम करने वाले शहर के नामी आर्किटेक्ट सुरिंदर बाहगा ने बताया कि प्रशासन इसे लेकर गंभीर नहीं है। पड़ोसी राज्य पंजाब, हरियाणा, हिमाचल सहित 20 से अधिक राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों ने इन कोड को पहले ही अधिसूचित कर दिया है। प्रशासन को इसे जल्द लागू करना चाहिए। कहा कि इन नियमों को अगर थोड़ी ढिलाई के साथ भी लागू किया जाए तो हर वर्ष 15-20 फीसदी बिजली की बचत हो जाएगी।
लागू नहीं होने के पीछे कारण
ईसीबीसी लागू करने की इच्छा शक्ति की कमी
प्रशासन के पास इस काम के लिए प्रोफेशनल की कमी
सोलर पर ध्यान लेकिन बिजली बचत पर गंभीरता की कमी
आज तक प्रोसीजर ही नहीं बना पाया प्रशासन
सॉफ्टवेयर महंगे हैं
ऊर्जा संरक्षण भवन कोड के फायदे
हर वर्ष 20-30 फीसदी बिजली की बचत
ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम होगा
ऊर्जा की मांग घटेगी
वातावरण खराब नहीं होगा
चंडीगढ़ में जो भी इमारतें बनती हैं, उनके लिए कई तरह के नियम तय किए गए हैं। उनको पूरा करने के बाद ही कंप्लीशन सर्टिफिकेट दिया जाता है। ऊर्जा संरक्षण भवन कोड (ईसीबीसी) का अगर ड्राफ्ट बन गया है तो जल्द ही इसे लागू किया जाएगा।