पंजाब
चंडीगढ़ हाऊसिंग बोर्ड ने लीज टू फ्री होल्ड कन्वर्जन के केस में बिल्डिंग वॉयलेशन होने के मामले में सुनाया अहम फैसला
Ritisha Jaiswal
1 Sep 2022 2:55 PM GMT
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चंडीगढ़ हाऊसिंग बोर्ड ने लीज टू फ्री होल्ड कन्वर्जन के केस में बिल्डिंग वॉयलेशन होने के मामले में अहम फैसला सुनाया है।
चंडीगढ़ हाऊसिंग बोर्ड ने लीज टू फ्री होल्ड कन्वर्जन के केस में बिल्डिंग वॉयलेशन होने के मामले में अहम फैसला सुनाया है। बोर्ड ने कहा है कि जब तक बिल्डिंग वॉयलेशन को हटाया नहीं जाता, तब तक कन्वेयंस डीड की अनुमति नहीं दी जा सकती है। चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर सी.ई.ओ. यशपाल गर्ग ने जारी आदेशों में कहा है कि 30 दिन के अंदर बिल्डिंग वॉयलेशन हटा लिए जाते हैं तो कन्वेयंस डीड की जा सकती है। आवेदक 30 दिन की अवधि के भीतर भवन उल्लंघनों को दूर करने में विफल रहता है तो लीज से फ्री होल्ड में कन्वर्जन की अनुमति वापस ली जा सकती है और कन्वर्जन शुल्क बिना ब्याज के आवेदक को वापस किया जा सकता है। बिल्डिंग वॉयलेशन के संबंध में गलत शपथ पत्र प्रस्तुत करने के मामले में उचित कार्रवाई शुरू की जा सकती है।
बता दें कि सी.एच.बी. ने प्राॅपर्टी ट्रांसपोर्ट और म्यूटेशन और कन्वेयंस व लीज डीड को बिल्डिंग वॉयलेशन से डी-लिंक किया हुआ है। इस साल ही अप्रैल और मई माह में इस संबंधित आदेश जारी किए गए थे। हालांकि ट्रांसफर के समय विक्रेता और खरीदार को एक एफिडेविट जमा करना होता है। आवंटी को एफिडेविट देना होता है कि मौजूदा व नया उल्लंघन और दुरुपयोग के संबंध में परिणामों, कार्रवाई व जुर्माने के लिए वह जिम्मेदार होंगे। उपरोक्त मामलों में नेचर ऑफ ऑनरशिप वही रहती है, लेकिन वर्तमान मामला सैक्टर-45 सी के हाऊस नंबर-2121/1 पूरी तरह से अलग है जहां प्राॅपर्टी को लीज से फ्री होल्ड में परिवर्तित किया जाना है। इस मामले को लेकर 31 अगस्त को आवेदक सुदामा मूलचंदानी की उपस्थिति में व्यक्तिगत सुनवाई। इसमें पाया गया कि फ्री होल्ड में परिवर्तन नेचर ऑफ ऑनरशिप को पूरी तरह से बदल देगा जिसे आवंटियों के नाम पर ट्रांसफर ऑफ ऑनरशिप या लीज डीड, कन्वेयंस डीड के मामलों के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है। जब लीज होल्ड के आधार पर आवंटन रद्द करने की प्रक्रिया में है, तब फ्री होल्ड में परिवर्तन की अनुमति देना उचित नहीं होगा।
चंडीगढ़ कन्वर्जन ऑफ रेजिडैंशियल लीज होल्ड लैंड टेन्योर इन टू फ्री होल्ड लैंड टेन्योर रूल्स, 1996 के नियम के अनुसार आवेदक को एक एफिडेविट दाखिल करना आवश्यक है कि साइट पर कोई अनधिकृत निर्माण और दुरुपयोग नहीं है। हालांकि जब अनधिकृत निर्माण, दुरुपयोग रिकॉर्ड में हो या रद्द करने की कार्यवाही चल रही हो, इन पहलुओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और रिकॉर्ड पर मौजूद तथ्यों के विपरीत एफिडेफिट को सी.एच.बी. द्वारा स्वीकार नहीं किया जा सकता है। इस तरह वर्तमान मामले में 14 सितंबर, 2012 को फ्री होल्ड की अनुमति के बारे में सूचित किया गया था, लेकिन बिल्डिंग वॉयलेशन के मुद्दे के चलते कन्वेयंस डीड करने का मामला लंबित है। इस सब को ध्यान में रखते हुए ही सी.एच.बी. सी.ई.ओ. की तरफ से इस संबंध में ये उक्त आदेश जारी किए गए हैं।
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Ritisha Jaiswal
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