पंजाब

चिट्टे के खिलाफ अभियान को असफल बना रही, काली भेड़ें

Admin4
31 Oct 2022 9:38 AM GMT
चिट्टे के खिलाफ अभियान को असफल बना रही, काली भेड़ें
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अमृतसर। पंजाब सरकार की तरफ से चिट्टे के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में बेशक चाहे आई.जी बार्डर रेंज हो या फिर पुलिस कमिशनर अरुणपाल सिंह या फिर डिप्टी कमिशनर हरप्रीत सिंह सूदन सभी की नीयत बिल्कुल पानी की तरह साफ है और अधिकारियों को नशा तस्करों के खिलाफ जीरो टॉलरैंस की नीति अपनाने के आदेश दे रखे हैं लेकिन इस अभियान को अपने ही विभाग की कुछ काली भेड़ें असफल बना रही हैं। अभी दो दिन पहले ही सीमावर्ती इलाके कक्कड़ के एक किसान के खेतों में एक किलो लावारिस हैरोइन का पैकेट पकड़ा गया जो साबित करता है कि बी.एस.एफ. को चकमा देने में तस्कर सफल रहे हैं और एक बड़ी खेप जिले में पहुंच चुकी है। दूसरी तरफ वॉल्ड सिटी के सबसे पुराने इलाके चौक मोहनी में किसी अज्ञात व्यक्ति की तरफ से कई दुकानों के बाहर यहां चिट्टा बिकता है, के पोस्टर लगा दिए गए, जो साबित करता है कि अभी भी शहरी इलाकों में चिट्टा बिक रहा है और आए दिन पुलिस की तरफ से भी कभी 10 ग्राम तो कभी 20 ग्राम हैरोइन के साथ छोटे रिटेल तस्करों को पकड़ा जा रहा है यानि अभी भी चिट्टे की सप्लाई लाइन टूटी नहीं है।
जेल का मैडिकल अफसर ही हैरोइन सप्लाई करे तो हालात रब्ब आसरे
एस.टी.एफ. की तरफ से अभी दो दिन पहले ही केन्द्रीय जेल का मैडिकल अफसर कैदियों को चिट्टे की सप्लाई करता हुआ रंगे हाथों पकड़ा जा चुका है। इतना ही नहीं केन्द्रीय जेल में आए दिन कैदियों से मोबाइल, सिगरेट, सिम व नशीले पदार्थ पकड़े जा रहे हैं जो उन काली भेड़ों की तरफ इशारा कर रहे हैं, जो सरकारी वर्दी की आड़ में तस्करी कर रहे हैं और देश के साथ गद्दारी कर रहे हैं। खतरनाक गैंगस्टरों के हाथों में मोबाइल फोन सप्लाई किए जा रहे हैं।
पुलिस कर्मचारियों के करवाए जाएं डोप टैस्ट तो होंगे बड़े खुलासे
हाल ही में एक आदेश के तहत केन्द्रीय जेल के कैदियों के डोप टैस्ट करवाए गए थे जिसमें सैकड़ों की संख्या में कैदी पॉजिटिव पाए गए, लेकिन यही नियम पुलिस कर्मचारियों पर भी लागू होना चाहिए। सूत्रों की मानें तो कुछ पुलिस कर्मचारी ही नशे के लत्त के शिकार हैं, जिनके हर महीने डोप टैस्ट करवाए जाएं तो बड़े खुलासे हो सकते हैं, लेकिन ऐसा किया नहीं जाता है।
डी.सी. को स्थापित करना होगा नशे के खिलाफ कंट्रोल रुम
पूर्व कैप्टन सरकार के पहले छह महीने के कार्यकाल के दौरान सभी जिलों के डिप्टी कमिश्नरों की तरफ से नशे की सूचना देने वालों के लिए कंट्रोल रुम बनाए गए, जहां चिट्टा बेचने वाले व अन्य नशों की बिक्री करने वालों की सूचना दी जा सकती थी। इसके साकारात्मक परिणाम भी सामने आए थे, लेकिन मौजूदा हालात में फिर से सिवल प्रशासन को इस प्रकार का अभियान चलाने की जरुरत है और कंट्रोल रुम स्थापित करने की सख्त जरुरत है ताकि सारी जिम्मेदारी पुलिस पर ही ना रह जाए।
कुछ काली भेड़ें कर रही विभाग को बदनाम
ज्यादातर पुलिस अधिकारी व कर्मचारी इमानदार हैं, लेकिन कुछ काली भेड़ें सारे विभाग को बदनाम कर देती हैं इसकी मिसाल नशे की बिक्री के लिए बदनाम इलाके मकबूलपुरा में देखने को मिल रही है। मकबूलपुरा क्षेत्र के थाना प्रभारी नीरज कुमार की तरफ से एक बड़ा नशामुक्ति अभियान अपने क्षेत्र में चलाया जा रहा है और दर्जनों की संख्या में नशे के शिकार युवाओं का इलाज करवाया जा रहा है इसमें पुलिस के साथ प्रशासन का भी सहयोग लिया जा रहा है, जबकि दूसरी तरफ एक एसएचओ ऐसा भी है जो गुंडों की टीम को साथ में रखता है और इस समय चर्चा का विषय भी बना हुआ है।
चिट्टे की सप्लाई की चेन तोड़ना कठिन काम, असंभव नहीं
शहर का इलाका हो या फिर देहाती इलाका चिट्टे की सप्लाई चेन को तोड़ना कठिन काम है, लेकिन असंभव काम नहीं है। चिट्टा पंजाब की आने वाली पीढ़ी को खोखला कर रहा है जो बहुत ही चिंता का विषय है। इसके लिए सिर्फ पुलिस के उच्चाधिकारियों को ही नहीं, बल्कि सिपाही तक को इमानदारी के साथ काम करना होगा।

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