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पंजाब में अगले वर्ष बढ़ सकता है एयरोसोल प्रदूषण, स्टडी में सामने आई यह बात
Shantanu Roy
9 Nov 2022 5:44 PM GMT
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चंडीगढ़। पंजाब सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास यदि प्रफुल्लित हुए तो पंजाब के लोगों को अगले वर्ष बहुत बड़ी राहत हासिल हो सकती है। यह ग्रहत एयरोसोल प्रदूषण के मामले में होगी, जिसके कि अगले वर्ष 20 फीसदी बढ़ने की आशंका जताई गई है। यह आशंका बोस इंस्टीच्यूट कोलकाता के एसोसिएट प्रोफैसर व रिसर्चर डा. अभिजीत चटर्जी और पीएच.डी. स्कॉलर मोनामी दत्ता द्वारा ए डीप इनसाइट इनटू स्टेट लेवल एयरोसोल 'पॉल्यूशन इन इंडिया' नाम से की गई स्टडी में जताई गई है। शोधकर्ताओं का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों तक थर्मल पावर प्लांट्स ही विभिन्न राज्यों में एयरोसोल प्रदूषण के सबसे बड़े कारक थे और उनके बाद वाहनों का नंबर आता था, लेकिन पंजाब में यह क्रम 2010 के बाद लगातार बदला और पराली व खेतीबाड़ी के अवशेषों को जलाना एयरोसोल प्रदूषण का सबसे बड़ा कारक बनकर उभरा। मौजूदा समय में यह एयरोसोल प्रदूषण में 34-35 प्रतिशत तक का योगदान डाल रहा है, जबकि थर्मल पावर प्लांट्स का योगदान 20-25 प्रतिशत और वाहनों का 17-18 प्रतिशत तक है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि पंजाब सरकार अपने प्रयासों से पराली जलाने पर पूर्ण अंकुश लगाने में कामयाब रहती है तो पंजाब की आबोहवा में बहुत बड़ा सुधार आ सकता है। ध्यान रहे कि पिछले सप्ताह ही पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ऐलान किया है कि पंजाब सरकार अपने राज्य में किसानों व माहिरों के साथ मिलकर ऐसे कदम उठाएगी, जिससे पंजाब में पराली जलाना बंद हो जाएगा और पराली का इस्तेमाल किसानों की आर्थिकता मजबूत करने में होगा।
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