रायबरेली : जिला कारागार प्रशासन का बंदी सुरक्षा को लेकर बेहद लापरवाहपूर्ण मामला सामने आया है। बुधवार को एक बंदी ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। घटना की जानकारी प्रशासन के साथ परिवारजनों को दी गई। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। घटना के बाद कारागार प्रशासन के व्यवहार और सक्रियता पर सवाल उठने लगे हैं। पूर्व में भी बंदियों की कारागार में हुई मौत भी इसी का उदाहरण है। जगतपुर के छीछेमऊ गांव का युवक शानू उर्फ इरफान नौ जुलाई 2022 में पॉक्सो एक्ट के तहत निरुद्ध था। पुलिस ने उसे जेल भेज दिया। उसे कारागार की 3 डी बैरक में रखा गया था। दोपहर के समय वह बैरक के नीचे बने जीने के पास कुंडे से चादर के सहारे फांसी लगा ली। अन्य बंदियों ने उसे लटकता देखा तो इसकी जानकारी अधिकारियों को दी गई। जेल अधिकारियों ने इसकी जानकारी प्रशासन और परिवारजन को दी। परिवारजन पहुंचे और युवक ने जहां फांसी लगाई, वहां जाकर देखा। जेल अधीक्षक सत्य प्रकाश ने बताया कि विचाराधीन बंदी ने बैरक के जीने के नीचे चादर के सहारे फांसी लगाई है। इसकी सूचना प्रशासन को दी गई है। बहरहाल, घटना को लेकर जेल प्रशासन भले ही अपनी दलील दे रहा हो, लेकिन कारागार में सबकी मौजूदगी में कैदी द्वारा फांसी लगाए जाने की घटना में जेल अधिकारियों की भूमिका की भी जांच बेहद जरूरी है।बंदी ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। घटना की जानकारी प्रशासन के साथ परिवारजनों को दी गई। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। घटना के बाद कारागार प्रशासन के व्यवहार और सक्रियता पर सवाल उठने लगे हैं। पूर्व में भी बंदियों की कारागार में हुई मौत भी इसी का उदाहरण है। जगतपुर के छीछेमऊ गांव का युवक शानू उर्फ इरफान नौ जुलाई 2022 में पॉक्सो एक्ट के तहत निरुद्ध था। पुलिस ने उसे जेल भेज दिया। उसे कारागार की 3 डी बैरक में रखा गया था। दोपहर के समय वह बैरक के नीचे बने जीने के पास कुंडे से चादर के सहारे फांसी लगा ली। अन्य बंदियों ने उसे लटकता देखा तो इसकी जानकारी अधिकारियों को दी गई। जेल अधिकारियों ने इसकी जानकारी प्रशासन और परिवारजन को दी। परिवारजन पहुंचे और युवक ने जहां फांसी लगाई, वहां जाकर देखा। जेल अधीक्षक सत्य प्रकाश ने बताया कि विचाराधीन बंदी ने बैरक के जीने के नीचे चादर के सहारे फांसी लगाई है। इसकी सूचना प्रशासन को दी गई है। बहरहाल, घटना को लेकर जेल प्रशासन भले ही अपनी दलील दे रहा हो, लेकिन कारागार में सबकी मौजूदगी में कैदी द्वारा फांसी लगाए जाने की घटना में जेल अधिकारियों की भूमिका की भी जांच बेहद जरूरी है।