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दो की मौत, एक घायल नागपुर के श्मशान घाट में चिता को आग देते समय हादसा
अमरावती: बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान और प्रीति जिंटा की फिल्म वीर-ज़ारा आज भी लोगों के दिलों में है। इस फिल्म में किस तरह से शाहरुख और प्रीति बिछड़ते हैं और फिर मिलते हैं। यह सब ने सिल्वर स्क्रीन पर देखा था। इस फ़िल्म को लोगों ने काफी सराहा भी था। यह तो एक फिल्मु कहानी थी लेकिन हम आपको ऐसी ही सच्ची घटना से रूबरू करवाएंगे। यह मामला है महाराष्ट्र के अमरावती जिले का, जहां 32 साल बाद एक पति- पत्नी की मुलाकात हुई है।
घर वालों ने मिलने की उम्मीद छोड़ दी थी
पुंडलिक शेषराव काले (60) नेकनापुर में रहते थे। लेकिन 32 साल पहले दिमागी संतुलन बिगड़ने से वो किसी को कुछ बताये बिना घर छोड़कर चले गए थे। उस दौरान उनके परिजनों ने उन्हें तलाशने की बहुत कोशिश की। लेकिन उनका कुछ पता नहीं चल पाया था। पुलिस ने भी अपनी तरफ से काफी प्रयास किया था। हालांकि यह सभी प्रयास असफल रहे। परिवारवालों ने भी उनके मिलने की सारी उम्मीदें छोड़ दी थीं। दूसरी तरफ शेषराव भटकते- भटकते महाराष्ट्र से केरल पहुंच चुके थे। दिमागी हालत ठीक न होने की सड़क पर रहने को मजबूर थे।
अगर किसी ने कुछ खाने को दिया तो खाया वरना भूखे ही सो गए। इस तरह से वो तकरीबन 18 साल तक ऐसे ही रहे है। इसी दौरान 18 साल पहले एर्नाकुलम में दिव्य करुणा ट्रस्ट के कार्यकर्ताओं की नजर उनपर पड़ी। जिसके बाद वो शेषराव को अपने साथ ले गए। उनके आश्रम में लगभग 18 सालों तक उनका इलाज चला। जिसके उन्हें धीरे- धीरे सब कुछ याद आने लगा। इसी बीच उन्होंने एनजीओ के लोगों को महाराष्ट्र में अपने घर का पता बताया।
इसके बाद एनजीओ के लोगों ने उनको घर भेजने का फैसला किया। उनके घर के पास के नजदीकी पुलिस स्त्रियों से संपर्क किया। स्थानीय पुलिस स्टेशन के अधिकारी विलास कुलकर्णी ने शेषराव की पूरी जानकारी मिलाई। जिसके बाद आज उनकी घर वापसी हुई।
पूरे गांव ने किया स्वागत
आखिरकार 32 साल बाद पुंडलिक शेषराव काले आज चांदूर रेलवे पुलिस स्टेशन पहुंचे। उनके साथ में एनजीओ के के पदाधिकारी भी मौजूद थे। इसके बाद नेकनानपुर में कुंडली के रिश्तेदारों को जानकारी दी गई। बाद में पुंडलि को लेकर पुलिस का काफिला उनके गांव पहुंचा। जहां पूरा गांव उनके स्वागत के लिए तैयार था। पुंडलिक काले को लेकर पुलिस और ट्रस्ट के स्वयंसेवक उनके घर गए।
इस तरह 32 सालों बाद पुंडलिक का उनकी पत्नी से मिलन हो पायाम उनकी पत्नी को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था। जिसके बाद उनकी आरती उतारकर स्वागत किया गया। यह भावुक दृश्य देखकर कई लोगों की आंखों में आंसू भी आ गए थे। इस तरह से महाराष्ट्र के अमरावती के इस वीर-ज़ारा की दोबारा 32 साल बाद मुलाकात हुई।