महाराष्ट्र

किसान आत्महत्याओं का तांडव, जारी वर्ष में 1 हजार 36 किसानों ने कर ली

Admin4
5 Sep 2022 5:47 PM GMT
किसान आत्महत्याओं का तांडव, जारी वर्ष में 1 हजार 36 किसानों ने कर ली
x
यवतमाल. पुरे भारत में किसान आत्महत्या के लिए कुख्यात हो चुके महाराष्ट्र के विदर्भ प्रान्त में इस वर्ष रिकॉर्ड स्तर पर किसानों के आत्महत्याओं के मामलें सामने आए है.विदर्भ में जारी वर्ष में 1 हजार 36 किसानों नें आत्महत्याएं कर ली है.यह जानकारी महाराष्ट्र किसान मिशन के अध्यक्ष किशोर तिवारी ने आज 5 सितंबर को दी.
विदर्भ में पिछले सात दिनों में कुल १८ किसानों की आत्महत्याओं के मामला सामने आये है. इससे जुडी जानकारी प्रशासनिक स्तर पर सरकार को दी गयी, उसके मुताबिक बिते सात दिनों में विदर्भ में यवतमाल जिले के अंगद आड़े वरुड जहांगीर, पाटापांगरा में विलास जांभुलकर, वर्धा जिले के अंजनगांव में गजानन जाधव, गोंदिया जिले के रेस पार्डी में जियालाल राउत, गढचिरोली के मलपंडी में अजय टोपे मलपंडी, भंडारा जिले के सडक अर्जुनी में गिरधारी भंडारकर, अमरावी के लाकुड गांव में अनिल ठाकरे, यवतमाल जिले के चिल्ली गांव में संतोष चव्हाण, नेर तहसील के विनायक दुधे, अमरावती के उदखेड के शिवदास वानखेडे, चंद्रपुर जिले के नवेगांव पेट निवासी विजय रोखड़े, गोंदिया जिले के नवेगांव निवासी प्रल्हाद दमाहें, यवतमाल जिले मारेगांव तहसील के गदाजी बोरी गांव के पुंडलिक रुयारकर, इसी तहसील के म्हैसदोडका गांव के सतीश वासुदेव बोथाले, नरसाला निवासी गजानन नारायण मुसले, रामेश्वर गांव के सचिन सुभाष बोधेकर, शिवणी धोबे गांव के हरिदास सूर्यभान टोंपे शिवानी धोबे, दांडगांव निवासी तोताराम अंगत चिचुलकर, इन किसानों ने आत्महत्याएं कर ली है.
किसान नेता किशोर तिवारी ने बताया की, भारत में किसान आत्महत्या की राजधानी यवतमाल में पिछले 30 दिनों में 40 किसानों ने जबकी विदर्भ में पहले आठ महीनों में रिकॉर्ड तौर पर 1 हजार 36 किसानों की आत्महत्या के मामले सामने आये है, यह संख्या पिछले २५ सालों में सबसे ज्यादा हैं इसका प्रमुख कारण लगातार भारी बारिश, फ़सलों का भारी नुकसान, उत्पादनमें आयी गिरावट, और किसान विरोधी प्रशासनिक नितीयां प्रमुख कारण है.
विदर्भ में फिर सुरु हुआ किसान आत्महत्याओं का तांडव, पर नेता नृत्य में व्यस्त
एक तरफ विदर्भ में किसान आत्महत्याओं का तांडव हो रहा है पर सब राजनेता नृत्य करते नजर आ रहे है, किसी अमीर आदमी के मृत्यु पर तुरंत जाँच के आदेश देने वाले या अमीर आदमी के बेटे के बुखार पर चिंता करने वाले कोई नेता अब तक इन आत्महत्याग्रस्त परिवारों की सूध नही ले रहा है, इसके अलावा जिले से लेकर तालुका स्तर तक प्रशासन, पुलिस, कृषि, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य और अन्य विभागों का एक भी अधिकारी इन घरों में नहीं पहुंचा है , सरकार ने मदद का ऐलान किया, लेकिन एक भी किसान को मदद नहीं मिली, कर्जमाफी का भी लाभ नही मिल पाया है.
किसान आत्महत्याबाधीत किसानों समेत गरीब जनता की शिकायत है कि उन्हें खाद्य-स्वास्थ्य-शिक्षा सुरक्षा नहीं मिल रही है.किशोर तिवारी के ईलाके में दौरे के दौरान अनेक नागरिकों ने शिकायत की गांव में कोई कृषि सहायक, तलाठी, ग्राम सेवक, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, स्कूल शिक्षक नहीं रहते हैं और वे महीने में एक या दो दिन ही आते हैं, हर तरह व्याप्त भारी भ्रष्टाचार और अनियमितता भी इस ईलाके के पिछडेपन और किसान आत्महत्याओं के लिए जिम्मेदार होने की बात तिवारी ने कही है.
किसानों को बचाने सरकार को दिया पंचसूत्री एक्शन प्लान कार्यक्रम
पिछले साल के सूखे वर्ष में, विदर्भ में सुखाग्रस्त और अल्पभुधारक 1180 किसानों की आत्महत्या की सूचना सरकार को मिली थी, लेकिन 2022 २०२२ में लगातार भारी बारिश, बंजर बनी खेती, कृषि की बढ़ी हुई लागत के कारण पहले सात माह में रेकॉर्डतोड किसानों की आत्महत्याओं के मामले सामने आये है यह काफी गंभीर मामला होता दिख रहा है, उल्लेखनिय है की, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के किसानों को आत्महत्यामुक्त करने के वायदे के बाद इन आत्महत्या में भारी वृद्धि हुई है.
इसी बीच किसान मिशन के अध्यक्ष किशोर तिवारी ने विदर्भ और यवतमाल जिले में दैनिक आत्महत्याओं को रोकने के लिए केंद्र और राजय सरकार को पंचसूत्री एकीकृत किसान बचाओ कार्यक्रम के तहत एक्शन प्लान रिपोर्ट पेश की है, जिसमें खेती की लागत, कृषि वस्तुओं की कीमतें, मिट्टी और जल पुनर्जनन, उत्पादकता, बीजों की स्वतंत्रता देने, फसल प्रणाली और नकद फसलों के स्थान पर भोजन, दलहन, तिलहन फसलों की योजना और उसी के लिए सब्सिडी देने, आसान कृषि ऋण नीति, कीसानों को सहज तात्काल मुआवजा मिले ऐसी फसल बीमा योजना, ग्रामीण क्षेत्रों से प्रशासनिक, राजनीतिक और सामाजिक भ्रष्टाचार का उन्मूलन सरकार करें
उपरोक्त 5 बिंदुओं पर किशोर तिवारी ने मांग की कि है की सरकार अमरावती और यवतमाल जिलों में प्रायोगिक तौर पर एकीकृत किसान बचाओ कार्यक्रम लागू करें, खेती की लागत कम होने तक नई विकसित तकनीक, मृदा स्वास्थ्य जल नियोजन, किया जाएं, किसान मिशन ने सरकार को सुझाव दिया है की, पहले यह सुनिश्चित करना है कि उत्पादकता में बढत हो, फसल के तरीकों और खाद्य, दलहन, तिलहन फसलों के लिए योजना और सब्सिडी पर तत्काल निर्णय लेने की मांग की गयी है.
Next Story