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ठाणे में दीवाली पर कम आवाज वाले पटाखों की तरफ बढ़ा ग्राहकों का रुझान
Rani Sahu
21 Oct 2022 12:30 PM GMT
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ठाणे: दिवाली (Diwali) के मौके पर बच्चों समेत युवाओं के लिए खाना, नए कपड़े, सामान आदि खरीदना और पटाखे (Crackers) फोड़ने एक अच्छा आकर्षण है। इसलिए दिवाली के नजदीक आते ही फाटखों के बाजार में ग्राहकों की भारी भीड़ देखी जा सकती है। पिछले दो साल तक दिवाली पर कोरोना महामारी के अधिक प्रकोप के कारण प्रशासन द्वारा लगाई गई रोक से पटाखा व्यवसाय (Cracker Business) प्रभावित हुआ था, लेकिन इस वर्ष सरकार की तरफ से खुलकर त्यौहार को मनाने की अनुमति मिलने के बाद पटाखा बाजार में उपभोक्ताओं और विक्रेताओं में भी उत्साह हैं। इस साल गणेशोत्सव के बाद से ही ठाणे शहर के कोपरी पूर्व स्थित पटाखा बाजार में पटाखों की आवक शुरू हो गई थी। पटाखों, जो ठाणे में थोक विक्रेताओं के पास उपलब्ध हैं, मुख्य रूप से शिवकाशी, तमिलनाडु में कारखानों में बेचे जाते हैं। पिछले दो साल तक पाबंदियों के चलते बाजार में पटाखों की संख्या में गिरावट आई थी, लेकिन इस साल बाजार में पटाखों की संख्या तुलनात्मक रूप से बढ़ी है। इस साल, उपभोक्ता छोटे पटाखों को खरीदने के लिए अधिक इच्छुक हैं जो तेज पटाखों की तुलना में अधिक प्रकाश उत्सर्जित करते हैं।
कुछ पटाखों के दामों में हुआ इजाफा
दिवाली का त्यौहार में सिर्फ कुछ दिन ही शेष हैं ऐसे में त्यौहार के नजदीक आने के साथ ही उपभोक्ता बच्चों के लिए फूल, बारिश, चक्र जैसे पटाखे खरीद रहे हैं। ईंधन की कीमतों में वृद्धि के कारण परिवहन लागत में वृद्धि से पटाखों की मौजूदा कीमतों पर भी असर पड़ा है, जो इस साल 10 से 20 प्रतिशत तक बढ़ गया है। हालांकि कुछ पटाखों के दाम स्थिर हैं।
बाजार में ग्रीन पटाखों की आवक बढ़ी
कोरोना की पृष्ठभूमि में दिवाली के पटाखों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण को रोकने के लिए इस साल कोपरी के पटाखा बाजार में ग्रीन पटाखों का आयात बढ़ा है। इन ग्रीन पटाखों में पेंसिल, फूलवाला, सुतली बम, ग्राउंड व्हील, अनार आदि सहित विभिन्न पटाखे शामिल हैं। इन ग्रीन पटाखों से सामान्य से कम प्रदूषण होने वाला है। कुछ साल पहले वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने पटाखों से होने वाले प्रदूषण को कम करने वाले पटाखों पर महत्वपूर्ण शोध किया था। पटाखा कंपनियां बाद में इस तरह के पटाखा बनाने के लिए राजी हुईं। ये ग्रीन पटाखे 2019 से बाजार में हैं और इस साल कई किस्मों को लॉन्च किया गया है। इन ग्रीन पटाखों से जहां प्रदूषण 100 प्रतिशत तक कम नहीं होगा, वहीं धूल को सोखने की इनकी क्षमता प्रदूषण को कम करने में मदद करेगी।
मार्केट में चीनी पटाखे अधिक
वैसे देखा जा तो कुछ साल पहले दक्षिण भारत के तमिलनाडु में स्थित फटाखा कारखानों से पटाखे अधिक संख्या में बाजारों में आते थे और बेचे जाते थे, लेकिन अब भारतीय बाजारों में भी चीनी फटाकों ने जगह ले ली है और अधिक संख्या में चीनी पटाखें नजर आ रहे हैं। इसमें फुलझड़ी, अनार, बम, रॉकेट हर तरह के पटाखे उपलब्ध हैं।
इन फटाखों की बढ़ी मांग
वैसे पटाखे बच्चों को अधिक प्यारे लगते हैं। दुकानदार भी बच्चों को लुभाने के लिए फैंसी और कार्टून फोटो वाले पटाखे बच्चों को अधिक पसंद आ रहे है। वैसे बाजार में इस वर्ष पोकेमोन, बेनटेन, टाम एंड जेरी, छोटा भीम, जैसे कार्टून वाले पटाखे उपलब्ध है और इन्ही पटाखों की मांग भी अधिक है। इसके अलावा दुकानों में मुजिकल रंग-बिरंगी पटाखे भी उपलब्ध है। जिसमे सबसे अधिक मांग म्यूजिकल क्रैकर्स, म्यूजिकल अनार, म्यूजिकल चकली, कलर चकली जैसे पटाखों का समावेश है।
पटाखों के दर और प्रकार
वालकेनो बॉम्ब एक बॉक्स (10 नग) -450 रुपए
रेड फोर्ट-1000 रुपए बाबा स्मॉल यूनिट-700 से 100 रुपए तक
साधी फुलझड़ी-450 से 1000 रुपए तक
सादी लड़ी (1000)- 250 से 1500 रुपए स्टैंडर्ड लड़ी (1000) -425 से 1500 रुपए तक
स्टैंडर्ड लड़ी (5000)- 1976 रुपए से लेकर 5000 रुपए तक
सादी लड़ी (5000)- 875 रुपए से 2000 रुपए तक
बटरफ्लाय (फैंसी) प्रति बॉक्स- 200 रुपए से 800 रुपए तक
स्टैंडर्ड फ्लावर पॉट- 100 से 750 रुपए
सादे फ्लावर पोट्स – 50 से 450 रुपए
स्टैंडर्ड चकली-55 से 280 रुपए
सादे चकली- 50 से 180 रुपए
Source : Hamara Mahanagar
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